Ketu Puja: मंगल के स्वभाव से मिलता-जुलता है केतु का स्वभाव, जातक को रंक से राजा बनाने की होती है क्षमता
Mangal Puja: केतु ग्रह का स्वभाव मंगल ग्रह के स्वभाव से काफी मिलता-जुलता है. केतु जब उच्चभाव में रहते हैं, तो वे जातक की किस्मत ही बदल देते हैं. आइये जानें इनसे जुड़ी अन्य ख़ास बातें.
Mangal Puja: ज्योतिष शास्त्र में कुल 9 ग्रह है. जिसमें राहु और केतु ग्रह को छाया गढ़ कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु ग्रह का स्वभाव मंगल ग्रह से मिलता जुलता है. केतु ग्रह की क्रियाएं तांत्रिक हैं. इस लिए ये अन्य ग्रहों की तुलना में सर्वाधिक रहस्यवादी हैं. केतु गृह की प्रकृति में अचानक उन्नति या अवनति, मान, अपमान, दुर्घटना, पदच्युति, घबडाहट, उलझन, आर्थिक तंगी और उत्साहहीन करना है.
ज्योतिष शास्त्र में इन्हें क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. इस लिए केतु ग्रह का नाम लेते ही व्यक्तियों के अन्दर एक भय छा जाता है. ज्योतिष विदों के अनुसार केतु ग्रह केवल अशुभ फल ही नहीं देते हैं बल्कि शुभ परिणाम भी देते हैं. ज्योतिष में केतु का अर्थ ऊंचाई बताया गया है. जन्म कुंडली में केतु अगर किसी अच्छे ग्रह के साथ उच्च स्थान पर बैठा होता है. तो यह ग्रह जीवन में सर्वश्रेष्ठ फल देता है. मंगल की तरह केतु ग्रह भी साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है. केतु ग्रह व्यक्ति के जीवन में यदि बहुत कुछ देते है तो वे उनसे ले भी लेते हैं.
केतु ग्रह की विशेषता
केतु ग्रह के चलते जीवन में अचानक घटनाएं घटती रहती हैं. केतु ग्रह अगर व्यक्ति की जन्म कुंडली में किसी अच्छे ग्रह के साथ 8 वें भाव में है तो निश्चित ही अचानक धन लाभ होता है. चूंकि ज्योतिष में इसे छाया ग्रह कहते हैं. केतु जिस ग्रह के साथ बैठता है उस ग्रह के प्रभाव {बल} को बढ़ा देता है.
केतु ग्रह इस भाव में देता है शुभ-अशुभ परिणाम
केतु का संबंध दूसरे और 8वें भाव से होता है. यह जब इस भाव में रहता है तो बहुत ही उत्तम फल देता है. मंगल और केतु की युति से अंगारक योग बनता है. जिस जातक की कुंडली में यह युति बनती है. उस जातक को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.