Ketu Upay: कुंडली में केतु की दशा है खराब है तो कर लें उपाय, दुष्प्रभाव से मिलेगा छुटकारा
Ketu Grah Upay: नवग्रह में राहु और केतु ग्रह के बारे में भी गणना की गई है. राहु और केतु ग्रह को छाया ग्रह माना गया है. किसी भी जातक की कुंडली में राहु और केतु को अशुभ माना गया है.
Ketu Grah Upay: नवग्रह (Navgrah) में राहु और केतु (Rahu-Ketu) ग्रह के बारे में भी गणना की गई है. राहु और केतु ग्रह (Rahu-Ketu) को छाया ग्रह माना गया है. किसी भी जातक की कुंडली में राहु और केतु को (Rahu-Ketu In Kundali) अशुभ माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के दौरान ही राहु और केतु उत्पन्न हुए थे. ये दोनों एक ही राक्षस के दो हिस्से हैं. समुद्र मंथन के दौरान राक्षस रूप बदल कर देवताओं की पंक्ति में लग गया और अमृत ग्रहण कर लिया. अभी उस राक्षस के गले से नीचे अमृत उतरा भी नहीं था, कि भगवान विष्णु ने उसका सिर धड़से अलग कर दिया. इसमें सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ वाला हिस्सा केतु कहलाया.
ज्योतिष की मानें तो ये ग्रह कुंडली में गलत स्थान पर होने के कारण ये ग्रह जीवन में संकट उत्पन्न करने लगते हैं. ऐसे में इनके दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ उपायों को किया जा सकता है. आइए जानते हैं केतु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए क्या करना चाहिए.
केतु के दुष्प्रभावों से बचने के उपाय
- कुंडली में गलत स्थान पर बैठा केतु ग्रह किसी की भी जिंदगी में उथल-पुथल मचा देता है. ऐसे में इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान गणेश की पूजा-अराधना सबसे आसान उपाय है.मान्यता है कि गणेश जी को केतु का कारक देवता माना गया है. केतु के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए बुधवार के दिन गणेश पूजन करने तथा अथर्वास्तोत्र का पाठ पढ़ने से लाभ होगा.
- काले रंग की गाय का दान करने से केतु ग्रह के संकट को दूर किया जा सकता है. लेकिन अगर काली गाय का दान संभव नहीं है तो काली गाय को चारा खिलाना और उसकी सेवा करने से भी केतु को प्रभावों को कम किया जा सकता है.
- केतु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए गरीब, असहाय, अपंग व्यक्तियों को भोजन, धन आदि का दान करें. भूलकर भी उनका अपमान न करें और सामर्थ्य अनुसार मदद करने से केतु का दुष्प्रभाव समाप्त होता है.
- ज्योतिष के अनुसार काले-सफेद कुत्ते को नियमिततौर पर भोजन का कुछ हिस्सा खाने को दें. वहीं, अगर यह संभव न हो तो काल और सफेद तिल बहते हुए जल में प्रवाहित करने से भी लाभ होता है.
- कुंडली में मौजूद केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु बीज मंत्र का जाप करें. केतु का एकाक्षरी बीज मंत्र...
'ॐ कें केतवे नमः॥'
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