Kharmas 2022: 16 दिसंबर 2022 से मांगलिक कार्यो पर रोक लग जाएगा. इस दिन करीब 10 बजे सूर्य वृश्चिक से निकलकर गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेंगे जिसके बाद खरमास शुरू हो जाएंगे. खरमास की समाप्ति मकर संक्रांति पर 14 जनवरी 2023 को होगी. जब सूर्य गुरु की राशि में होते हैं तो उस काल को गुर्वादित्य कहा जाता है, जो शुभ कामों के लिए वर्जित है. क्या आप जानते हैं कि इसे खरमास क्यों कहा जाता है. आइए जानते हैं खरमास को क्यों अशुभ माना गया है और कैसे पड़ा इसका नाम खरमास.


खरमास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य ?


शास्त्रों के अनसुार सूर्य जब बृहस्पति की राशि धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दौरान वह अपने गुरु की सेवा में रहते हैं ऐसे में सूर्य की प्रभाव कम हो जाती है. साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कमजोर होता है. शुभ कार्य के लिए इन दोनों ग्रहों की मजबूत होना जरूरी है. यही वजह है कि इसमें मांगलिक कार्य फलित नहीं होते इसलिए इसे अशुभ मास माना गया है.


खरमास की कथा (Kharmas Katha)


पौराणिक कथा के अनुसार अपने 7 घोड़ों पर सवार सूर्य देव सदा गतिमान रहते हैं. वह निरंतर ब्रह्माण की परिक्रमा लगाते हैं, जिसकी वजह से सारी गतिशील रहती है. नियम के अनुसार सूर्य एक पल के लिए भी रुक नहीं सकते क्योंकि अगर वह गतिहीन होते ही जनजीवन के लिए समस्या आ जाएगी. एक बार सूर्य अपने रथ पर सृष्टि की परिक्रमा लगा रहे थे तब हमेंत ऋतु में उनके घोड़े थक गए और एक तालाब किनारे पानी पीने के लिए रुक गए.


इसलिए सर्य की गति हो जाती है धीमी


सूर्य देव जानते थे कि उनका एक क्षण भी ठहरना संसार में संकट पैदा कर सकता है. ऐसे में उन्होंने तालाब किनारे खड़े दो खर यानी कि गधों को अपने रथ में जोड़ लिया और पुन: परिक्रमा के लिए चल दिए. गधे चलने में घोड़ो की बराबरी नहीं कर सकते थे.  इस वजह से सूर्य की गति धीमी हो जाती है. पूरे एक माह तक सूर्य देव गधों के रथ पर सवार रहते हैं इसलिए इसे खरमास कहा जाता है.


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