किचन यानि रसोईघर में तिलहन, दलहन और मसालों से ग्रहों को प्रसन्न किया जा सकता है. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए रसोई में तिल और सरसों का तेल दान किया जा सकता है. काले तिल, कलौंजी का प्रयोग किया जा सकता है. शनिदेव के लिए लोहे के बर्तनों का उपयोग कर सकते हैं.


देवगुरु बृहस्पति की सकारात्मकता के लिए हल्दी, केशर और केले आदि पीली वस्तुओं का दान एवं उपयोग किया जाता है. 


शुक्रदेव दूध शक्कर मिश्रित मखाने की खीर, चावल की खीर से मजबूत होेते हैं. डेयरी प्रॉडक्ट शुक्र के बल को बढ़ाते हैं. चांदी के बर्तनों का प्रयोग भी किया जा सकता है.


बुध की प्रसन्नता और प्रबलता के लिए धनिया, सौंफ, मूंगदाल, हरी शाक-भाजी का प्रयोग बढ़ाया जाता है. सहजन की फल्ली, त्रिफला आदि का उपयोग एवं दान कर सकते हैं.


सौरमंडल के सेनापति मंगलदेव आटे के मौटे रोट हनुमान जी पर चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं. लाल फल सब्जियां मंगल का बल बढ़ाती हैं. गुड़, दालचीनी, खांड और लाल मिर्च मंगल के प्रतिनिधित्व वाले पदार्थ हैं.


चंद्रमा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं. सूर्य को जल देने से चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं. रसीले फल, शर्बत, चावल आदि चंद्रमा को असरदार बनाते हैं. स्मरणशक्ति को बल मिलता है.


सूर्य शुद्ध घी, स्वर्ण भस्म, केशर, गेहूं से प्रभावशाली बनाए जा सकते हैं. प्रशासनिक कार्याे में बाधा आने पर उक्त वस्तुओं का उपयोग व दान बढ़ाएं. 


राहू-केतु के सॉस, सूप, ड्र्ंिक्स, सिरका, रासायनिक पदार्थ, नमक इत्यादि प्रयोग किया जाता है. जल में जौ प्रवाहित करने से राहू का कोप शांत होता है.