प्रभु ईसा मसीह की याद में मनाया जानेवाला गुड फ्राइडे ईसाइयों का अहम पर्व है. ईसाई इस मौके पर चर्च और गिरिजाघरों में जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं. गुड फ्राइडे को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कहीं इसे ब्लैक फ्राइडे तो कहीं होली फ्राइडे या कहीं ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है. गुड फ्राइडे ईस्टर संडे से पहले पड़नेवाले शुक्रवार को आता है. इस बार शुक्रवार 10 अप्रैल को दुनिया भर में गुड फ्राइडे का पर्व मनाया जा रहा है.
इस बार पूरी दुनिया में लॉकडाउन और क्वारंटाइन के बीच गुड फ्राइडे पड़ रहा है. प्रभु यीशु के बलिदान को याद करने के लिए ईसाई गुड फ्राइडे से 40 दिन पहले से ही तैयारी करने लगते हैं. ईसाई व्रत रख प्रार्थना शुरू करते हैं और 40 दिन बाद गिरिजाघरों और चर्चों में जाकर प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं. मगर इस बार ईसाई अपने घरों पर रहकर ही गुड फ्राइडे मनाने को प्राथमिकता देंगे. आर्चबिशप मुंबई ने गुड फ्राइडे के लिए सर्कुलर जारी किया है. धर्मगुरु की तरफ से मुंबई की 123 चर्च में नियम पालन करने को कहा गया है. लोगों से क्रॉस को चूमने से मना किया गया है सिर्फ हाथ जोड़कर प्रार्थना करने की नसीहत दी गई है. इतना ही नहीं मुंबई में चर्च के बाहर प्रवेश द्वार पर रखे पवित्र जल को भी अगले कुछ दिनों के लिए हटा लिया जाएगा.
ईसाई मान्यता के मुताबिक इस दिन रोम के बादशाह के आदेश पर यीशु मसीह को सूली पर लटका दिया गया था. अंधविश्वास और झूठ फैलानेवाले धर्मगुरुओं को उनकी बढ़ती लोकप्रियता से खतरा महसूस हुआ. जलन और ईर्ष्या में उन्होंने बादशाह के कान भरे. जिसके बाद ईसा मसीह पर राजद्रोह और धर्म की अवमानना का मुकदमा चला. अंत में राजा के आदेश पर उन्हें सूली पर टांग दिया गया. गुड के पीछे मान्यता है कि ईसा मसीह ने लोगों के कल्याण के लिए अपने जीवन की आहूति दी. इसलिए इस दिन को प्रभु यीशु के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
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