Solar Eclipse 2020: ये रहा सूर्यग्रहण और सूतककाल का सही समय, इसमें भूलकर भी न करें ये काम
Solar Eclipse 2020: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन अर्थात 21 जून रविवार को लगेगा इस साल का पहला सूर्य ग्रहण. पढ़ें इस सूर्य ग्रहण के समय कौन कौन से बन रहें हैं और दुर्लभ संयोग.
Solar Eclipse 2020: 21 जून 2020 दिन रविवार को लगने वाला सूर्यग्रहण इस वर्ष का पहला सूर्यग्रहण है जो भारत के कुछ भागो में तो वलय के आकार में दिखाई देगा परन्तु वहीँ देश के अधिकतर भागों में यह आंशिक रूप से दिखाई देगा.
वलय के आकार अथवा वलयाकार अथवा कंकणाकृति सूर्यग्रहण: इस प्रकार के सूर्यग्रहण में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केवल मध्य भाग पर ही पड़ती है जबकि सूर्य के किनारे प्रकाशमान रहते हैं. इस स्थिति में जब हम पृथ्वी से इस घटना को देखते हैं तो सूर्य के बाहरी क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण हमें यह एक रिंग अथवा कंगन अथवा वलय की आकृति में दिखाई देता है जिसे आंशिक या वलयाकार अथवा कंगन सूर्यग्रहण भी कहा जाता है.
आंशिक अथवा खंडग्रास सूर्यग्रहण: इस प्रकार के सूर्यग्रहण में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केवल कुछ ही भाग पर पड़ती है. सूर्य का शेष भाग चन्द्रमा की इस छाया से अप्रभावित रहता है. इस प्रकार की स्थिति में पृथ्वी के उस विशेष भाग पर लगने वाला सूर्यग्रहण आंशिक या खंडग्रास सूर्यग्रहण कहलाता है.
भारत में सूर्यग्रहण की स्थिति इस प्रकार है: भारत में 21 जून 2020 को लगने वाला यह सूर्यग्रहण आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या के दिन लगेगा. देश के अधिकांश भागों में यह सूर्यग्रहण आंशिक या खंडग्रास सूर्य ग्रहण के रूप में ही देखने को मिलेगा जबकि देश के कुछ भागों में यह वलयाकार आकृति में दिखाई देगा. इस प्रकार का सूर्यग्रहण 24 अक्टूबर 1995 को भी एक बार लग चुका है कि जब दिन में ही ऐसा लग रहा था मानो रात हो गयी है. अपने देश में सूर्यग्रहण लगभग सुबह 10 बजकर 13 मिनट और 52 सेकण्ड से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 29 मिनट और 52 सेकण्ड तक रहेगा. देश के अलग–अलग भागों में यह अलग–अलग समय पर दिखाई पड़ेगा.
सूर्यग्रहण के सूतक का समय और इस दौरान न किये जाने वाले कार्य: सूर्यग्रहण के आरंभ से 12 घंटे पूर्व का समय सूतककाल का समय कहा जाता है. देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग समय में लगने वाले सूर्यग्रहण के अनुसार सूतक का यह समय देश के अलग–अलग भागों में अलग-अलग होता है. सूतककाल में कोई भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, शारीरिक सम्बन्ध, काटने-छाँटने का कार्य, खाने–पीने का कार्य अथवा तुलसी के पत्तों को तोड़ने जैसे इत्यादि कार्य नहीं किया जाना चाहिए.