Ganpati Visarjan Vidhi: हिंदी पंचांग में भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन से गणपति बप्पा की पूजा बहुत ही धूम से शुरू की जाती है. गणेश भक्त अपने घरों पर गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और इसका विधि-विधान से पूजा करते हैं. भाद्रपद मास की चतुर्दशी तिथि, जिसे अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं, को गणेश प्रतिमा का पूजन के बाद विसर्जन करते हैं. शास्त्रों में गणेश प्रतिमा के विसर्जन की विधि दी गई है. धार्मिक मान्यता है कि शास्त्रोक्त विधि से गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाये तो भगवान गणेश जी अपने भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं. उनके सारे कष्ट हर लेते हैं. आइये जानें अनंत चतुर्दशी को कैसे करें गणेश प्रतिमा का पूजन.


गणेश प्रतिमा के विसर्जन की विधि


अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के पहले सर्वप्रथम भगवान गणेशजी विधिवत पूजन कर हवन व स्वस्तिवाचन करें. अब लकड़ी का बना एक स्वच्छ पाट लें. इस पाट पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. इस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और चारों कोनों पर सुपारी रखें. अब गणपति बप्पा मिरिया के जयघोष के साथ भगवान गणेशजी की प्रतिमा को पूजा स्थान से उठा कर पाट पर रखें. ध्यान रहे कि प्रतिमा को कोई क्षति न हो.



अब पाट पर रखी प्रतिमा का विधि-विधान से पुनः पूजा और उपासना करके आरती करें. गणेश जी को उनके प्रिय चीजों जैसे फल, फूल, मोदक आदि का भोग लगायें. इस भोग की सारी सामग्री को एक पोटली में बांध कर भगवान श्रीगणेश जी के साथ पाट पर रख दें. इसके बाद क्षमा प्रार्थना के बाद अगले वर्ष पुनः आने का निवेदन करें तथा भक्तों के ऊपर कृपा रखने की प्रार्थना भी करें.  


इसेक बाद गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष करते हुए पाट सहित गणेश प्रतिमा को अपने हाथों या कंधे पर रख कर विसर्जन स्थल पर ले जाएं और पूरे सम्मान के साथ गणेश प्रतिमा को विसर्जित करें. इसके बाद में श्रीगणेश जी की कपूर से आरती करें. अगले साल पुनः आने की प्रर्थन करते हुए वहां से विदा लें. मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जी, सच्चे मन से की हुई कामना को जरूर पूरा करते हैं तथा भक्तों के सारे दुख और सकंट हर लेते हैं.