दिवाली के पंच दिवसीय त्यौहार में चौथा पर्व गोवर्धन पूजा होता है. जो दिवाली के ठीक अगले ही दिन मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाने वाला यह पर्व मुख्य रूप से भगवान कृष्ण को समर्पित है. इस दिन गोवर्धन के रूप में भगवान कृष्ण की ही आराधना की जाती है. इस बार भी यह उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा. लेकिन अगर आपको अब तक गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि की जानकारी नहीं है तो पहले वो ज़रुर जान लें. 


गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त


इस बार गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को होगी. जिसका शुभ मुहूर्त दोपहर 03.19 बजे शाम 05.26 बजे तक है. इस दौरान घर में ब्राह्माण को बुलाकर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. लेकिन अगर आपके घर में कोई बड़ा बुजुर्ग है तो वो भी इस पूजा का संपन्न करा सकता है. ऐसे में यहां पूजा विधि जान लेना अत्यंत ज़रुरी है.


गोवर्धन पूजा की विधि




  • गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है. पूजा के लिए घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ की प्रतिमा पर रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, फूल चढ़ाकर दीपक जलाया जाता है. 

  • फिर गोवर्धन की परिक्रमा की जाती है. 

  • गिरिराज देव को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. इस अन्नकूट में 56 प्रकार के भोग होते हैं. 

  • यह पूजा खासतौर से प्रदोष काल में की जाती है. 


गाय व बछड़ों की भी होती है पूजा


गोवर्धन पूजा के दिन गाय व बछड़ों की खासतौर से पूजा करना भी शुभ माना गया है. इसके पीछे कारण ये है कि भगवान कृष्ण को गाय व बछड़ों से काफी प्रेम था. और अगर इस दिन इन्हें चारा खिलाकर इनकी सेवा की जाए तो अत्यंत शुभ फलों को प्राप्त किया जा सकता है. 


क्यों होती है गोवर्धन पर्वत की पूजा


दरअसल भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के प्रकोप से गोकुलवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. इससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई तो वहीं इंद्रदेव का घमंड भी टूटा था. जिसके बाद से ही इसी पर्व को मनाया जाता है.