सऊदी अरब ने दी उमराह की इजाजत, जानें- उमराह क्या होता है और सालाना हज से कितना अलग है
4 अक्टूबर से सऊदी अरब ने उमरा की इजाजत दी है.उमरा हज से अलग संक्षिप्त समय के लिए होता है.
![सऊदी अरब ने दी उमराह की इजाजत, जानें- उमराह क्या होता है और सालाना हज से कितना अलग है Know the difference between Hajj and Umrah, What rules have to follow during Umrah? सऊदी अरब ने दी उमराह की इजाजत, जानें- उमराह क्या होता है और सालाना हज से कितना अलग है](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/09/24183857/pjimage-2020-09-24T130733.355.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
सऊदी अरब ने 4 अक्टूबर से उमराह की इजाजत का ऐलान किया है. उमराह सालाना हज का संक्षिप्त रूप होता है. मक्का की यात्रा को उमराह कहा जाता है. अरबी भाषा में उमराह का मतलब होता है 'आबादी वाली जगह का दर्शन'.
उमरा स्वैच्छिक और सुन्नत है
उमराह मुसलमामनों को ईमान ताजा करने और खुदा से गुनाहों की माफी तलब का मौका होता है. कहा जाता है कि उमराह करनेवाला गुनाहों से पाक हो जाता है. सऊदी अरब से बाहर के यात्रियों को स्पेशल उमराह वीजा की जरूरत होती है. ये वीजा एक महीने तक मान्य रहता है. सऊदी अरब और आसपास रहनेवाले लोग बिना किसी खास दस्तावेज के उमराह कर सकते हैं.
उमराह स्वैच्छिक और सुन्नत है जबकि हज शारीरिक और आर्थिक रूप से मजबूत मुसलमानों पर फर्ज है. हज इस्लाम के पांच सतूनों में से एक है. जिंदगी में एक बार उन्हें मक्का-मदीना जाकर हज करना जरूरी होता है. हज इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने की 8-13 तारीख के बीच किया जाता है जबकि उमराह के लिए समय की बाध्यता नहीं है. कभी भी मक्का में जाकर किया जा सकता है.
दुनिया का कोई भी मुसलमान कभी भी उमराह कर सकता है. उमराह दो घंटे के अंदर तेजी से किया जानेवाला आध्यात्मिक अमल है. जबकि हज कई दिनों तक चलनेवाली लंबी प्रक्रिया का नाम है. दुनिया में हज के मौके पर सबसे ज्यादा भीड़ इकट्ठा होती है. हज और उमराह करनेवाले तीर्थयात्रियों को काबा के इर्द गिर्द चक्कर लगाना होता है. काबा के महत्व का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि दुनिया के मुसलमान इसकी दिशा में पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं.
एहराम बांधने के साथ नियम हो जाते हैं लागू
उमराह करनेवाले यात्रियों को एहराम की हालत में होना चाहिए. एहराम हज औऱ उमराह का एक खास लिबास होता है. एहराम बांधने के साथ ही लड़ाई-झगड़ा, गाली और अपशब्दों का इस्तेमाल हराम हो जाता है. यहां तक कि किसी जानवर को भी नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता. तीर्थ यात्रियों को नाखून, दाढ़ी, बाल कटाने की इजाजत भी नहीं होती.
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