Diwali 2019: क्यों दिवाली पूजन के दौरान अहम हैं खील और बताशे, क्यों इनके बिना पूजा नहीं होती पूरी, जानें
दिवाली की पूजा की थाली में खील और बताशों का अलग ही महत्व है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दिवाली के दिन खील और बताशे से पूजा क्यों की जाती है
नई दिल्लीः दिवाली आने वाली है और इस साल 27 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा. दिवाली के दिन लोग भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक 5 दिनों तक ये त्योहार चलता है. दिवाली के त्योहार का लोगों को साल भर इंतजार रहता है और ये त्योहार ज्यादातर अक्टूबर में आता है.
दिवाली के दिन खासतौर पर लक्ष्मी पूजन का महत्व है और माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घरों में सुख-समृद्धि का वास होता है. दिवाली के लिए जो पूजा का थाल सजाया जाता है उसमें खील और बताशे अनिवार्य रूप से रखे जाते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दिवाली के दिन खील और बताशे से पूजा क्यों की जाती है.
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खील-बताशे से पूजा करने की वजह चालव से बनने वाली खील को दिवाली की पूजा का अहम हिस्सा माना जाता है. चावल से खील बनती है और इसकी फसल दिवाली आने से कुछ समय पहले ही तैयार होती है. लिहाजा दिवाली के के दौरान इस फसल के भोग के रूप में माता लक्ष्मी को ये अन्न चढ़ाया जाता है.
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दूसरा कारण धार्मिक है दिवाली के दौरान खील बताशे से पूजा करने के पीछे एक धार्मिक कारण भी है कि दिवाली को संपत्ति का त्योहार माना जाता है जिसके देवता शुक्र ग्रह होते हैं. शुक्र ग्रह का प्रतीक सफेद और मीठी वस्तुएं मानी जाती हैं और शादी-ब्याह के दौरान भी इनका इस्तेमाल किया जाता है. अगर शुक्र ग्रह को प्रसन्न करना चाहते हैं तो दिवाली के दिन खील और बताशे जो सफेद और मीठी वस्तुओं के तहत आते हैं, इनका भोग माता लक्ष्मी को लगाएं.
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