Panchak: 'पंचक' का नाम सुनते ही मन में कुछ नकारात्मक भाव आता है. पंचक का प्रयोग प्रायः किसी के देहांत के पश्चात ही करते सुना होगा. पंचक शब्द पांच से बना है. लेकिन पंचक का क्या अभिप्राय है. पंचक में ऐसी आशंका रहती है कि पांच जगह से ऐसी ही अशुभ सूचना प्राप्त होगी या यूं कहें कि पांच लोगों की अंत्येष्टि में जाना पड़ सकता है, इसलिए जब किसी का निधन होता है तो लोग सर्वप्रथम पंचक तो नहीं लगा है यह देखते हैं. अगर पंचक है तो उसके उपाय का भी प्रावधान है. पंचक को लेकर मन में नकारात्मक विचार आते हैं. क्या पंचक का प्रयोग हम लोग शुभ कर्मों में नहीं कर सकते ? आखिर यह पंचक है क्या ?
पांच नक्षत्रों का समूह 'पंचक' कहलाता है. पंचक में धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती इन पांच नक्षत्रों का समावेश है. इसमें धनिष्ठा के अंतिम दो चरण लेते है. दूसरे शब्दों में कहें तो जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में होता है तो पंचक होता है. सामान्य भाषा में कहें तो पंचक महीने में लगभग पांच दिन पड़ते ही हैं. इन पांचो नक्षत्रों में बहुत ही पोटेंशियल होता है और इनकी पॉवर बढ़ते हुए क्रम में होती हैं. यानी धनिष्ठा से आरम्भ होकर अपनी गुणवत्ता को बढ़ाते हुए रेवती में पूर्ण परिणाम देते हैं.
पंचक के विषय में लोगों में भ्रांतियां हैं, कि पंचक शुभ कार्यो में वर्जित है. कुछ लोगों का यह मानना है कि पंचक में आरंभ किया गया कार्य पांच बार करना पड़ता है. यानी पंचक में किए गए कार्य की पुनरावृत्ति होती है. पंचक की वैलिडिटी अगले पंचक प्रारम्भ होने तक होती है यानी एक महीना.
पंचक में इन बातों का रखें ध्यान
पंचक को लेकर एक बात और स्पष्ट समझाना चाहता हूं कि अक्सर लोग कहते हैं कि अमुक व्यक्ति का पंचक में निधन हो गया, लेकिन पंचक दाह संस्कार से संबंधित है. न कि निधन के समय से मृत्यु एक परालौकिक क्रिया है इस पर मनुष्य का वश नहीं है लेकिन दाह संस्कार में कुछ करने की स्थिति रहती है. एक उदाहरण लेते हैं कि मानिये किसी का निधन हुआ और उसके चार घंटे बाद पंचक नक्षत्र आ रहे हों तो बिना किसी की प्रतीक्षा के तत्काल अंतिम संस्कार संपन्न कर देना चाहिए. वहीं इसके विपरीत यदि किसी का देहांत पंचक के अंतिम चरण में हो और चार घंटे बाद पंचक खत्म हो रहा हो तो प्रतीक्षा करते हुए पंचक निकल जाने दें तब अंतिम संस्कार करें. यदि पंचक में शवदाह हो रहा हो तो किसी ज्ञानी कर्मकाण्डी से संपर्क करना चाहिए.
इसके अतिरिक्त घास या लकड़ी के फर्नीचर खरीदना, खटिया बुनना, कैंप लगाना या स्लैब डालना और दक्षिण दिशा की यात्रा करना, ये पांच कर्म पंचक में वर्जित है. अब इसके कारण को भी समझते हैं. दरअसल यह सभी शय्या से जुड़ी है. यानी इस पर सोते हैं. निंद्रा जो लघु मृत्यु है दरअसल उस समय हम टाइम लेस जोन में होते हैं. सोना और जागना जन्म और मृत्यु का ही प्रतीक है, इसलिए इनमें उपयोग में आने वाली वस्तुओं की खरीद फरोख्त बिल्कुल नहीं करनी चाहिए. जैसे आज के परिपेक्ष्य में बेड, गद्दे, तकिया, चादर, सोफा, लकड़ी की वस्तुएं फर्नीचर नहीं खरीदनी चाहिए.
दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण यम की दिशा है और यम मृत्यु के देवता है. ऐसा माना जाता है कि मृत्यु हो जाने पर प्राण यम दक्षिण की ओर लेकर जाते हैं. गुरुवार के दिन यदि पंचक पड़े तो कतई दक्षिण दिशा की ओर नहीं जाना चाहिए. वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में भी ऊर्जा का प्रवाह नॉर्थ से साउथ पोल की तरफ ही होता है.
पंचक में अगर कोई इमरजेंसी न हो तो अस्पताल में एडमिट या डॉक्टर के पास जाने से बचना चाहिए. ऑपरेशन भी नहीं कराना चाहिए, अन्यथा ऑपरेशन असफल होने की आशंका प्रबल रहेगी.
पंचक में क्या कर सकते हैं
- गृह आरंभ, गृह प्रवेश, वाहन की खरीदारी, नए वाहन की डिलीवरी, जमीन या भवन की रजिस्ट्री, नए व्यापार की ओपनिंग पंचक में कर सकते हैं.
- मुंडन, उपनयन संस्कार किए जा सकते हैं. उत्तराभाद्रपद एवं रेवती नक्षत्र का तो सर्वाधिक मुहूर्त में प्रयोग किया जाता है.
- यह निर्विवाद स्पष्ट हैं कि पंचक अर्थात कुंभ और मीन राशि का चंद्रमा शुभ कार्य में दोष रहित है, सर्वथा ग्राह्य है.
- व्यवहारिक रूप से इस बात को समझें तो पंचक एक रिपीटेशन का कारक है. अब किसी भी चीज का रिपीट होना सुख की अनुभूति दे तो अच्छी बात है यहां सुख का अर्थ आराम नहीं है समृद्धि है. दुख की अनुभूति दे तो खराब बात है.
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