गायत्री को अत्यंत महत्वपूर्ण मंत्र माना गया है. ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है. इसे श्री गायत्री देवी के स्त्री रूप में भी पूजा जाता है. इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है.


यह मंत्र बहुत चमत्कारिक माना गया है. इसके जाप करने से हमें यह 7 प्रकार के लाभ मिलते हैं


1-उत्साह एवं सकारात्मकता बढ़ता. 2- मन धर्म और सेवा कार्यों में लगता है, 3-पूर्वाभास होने लगता है. 4-आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है. 5-स्वप्न सिद्धि प्राप्त होती है. 6-क्रोध शांत होता है. 7-बुराइयों से मन दूर होता है.


गायत्री मंत्र और उसका अर्थ


ॐ भूर् भुवः स्वः.
तत् सवितुर्वरेण्यं.
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥


अर्थात उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें. वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.


मंत्र जाप का सही समय
-गायत्री मंत्र के जप का पहला समय है सुबह का. सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू करना चाहिए और सूर्योदय के बाद तक जप करना चाहिए.
-मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर का. दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है.
-तीसरा समय है शाम का. सूर्यास्त से पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए.
-शाम के अलावा अगर गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से करना चाहिए. मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए.


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