Guru Purnima: आषाढ़ी पूर्णिमा पर जानिए क्या है अमृतकाल, कैसे पाएं इसका लाभ
आदिगुरु वेदव्यास की जयंती यानी आषाढ़ी पूर्णिमा गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है. पुराणों और महाकाव्यों में इस दिन को बहुत महत्व मिला है.
Guru Purnima: आदिगुरु वेदव्यास की जयंती यानी आषाढ़ी पूर्णिमा गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है. पुराणों और महाकाव्यों में इस दिन को बहुत महत्व मिला है. इस साल 24 जुलाई 2021 को आषाढ़ी पूर्णिमा पड़ रही है. इस दिन अमृतकाल का विशेष महत्व है. गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्य कर्क राशि में रहेगा. इसके अलावा उत्तरषाढ़ा नक्षत्र और विष्कुंभ योग बनेगा.
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 23 जुलाई शुक्रवार सुबह 10:43 बजे से होगी, जबकि पूर्णिमा का समापन 24 जुलाई, शनिवार को सुबह 08:06 बजे होगा. इसके अलावा इसका अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:06 बजे से 12:59 बजे तक और अमृत काल सुबह 06:44 बजे से सुबह 08:13 और दोपहर 01:29 बजे से सुबह 03:00 बजे तक रहेगा. अमृत काल के दौरान स्नान-ध्यान और एकाग्रता के लिए बेहद शुभफलदायक माना जाता है. इसी तरह ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:21 बजे – 05:09 बजे तक और सर्वार्थसिद्धि योग 24 जुलाई को दोपहर 12:40 से 25 जुलाई को 05:58 बजे तक रहेगा.
सभी वेद-पुराणों के रचियता था वेद व्यास- आदिगुरु वेदव्यासजी वेदों के ज्ञाता और महाकाव्य महाभारत के रचयिता थे. 18 पुराणों को रच करने के चलते उन्हें आदिगुरु भी कहा जाता है. वेदव्यास जी का प्रकटोत्सव को गुरु पूर्णिमा के रुप में भारत, नेपाल में धूमधाम से मनाया जाता है।
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