अक्सर किसी ज्योतिष और पंडित को ये कहते हुए सुना जाता है कि कुंडली में मांगलिक दोष है. लेकिन आखिर ये मांगलिक दोष है क्या...किसी की जन्मपत्रिका में इस दोष के होने से क्या प्रभाव होता है...और अगर वो प्रभाव नकारात्मक हैं तो उनके लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं….ये तमाम सवाल है जो अक्सर हमारे मन में उठते रहते हैं. तो चलिए आपके सभी सवालों का जवाब हम अपनी इस रिपोर्ट में आपको दे देते हैं. सबसे पहले जानिए आखिर मांगलिक दोष है क्या?


क्या है मांगलिक दोष


ज्योतिष की भाषा में समझें तो किसी की जन्म कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में अगर मंगल मौजूद है तो कुंडली में मंगल दोष माना जाता है. और उस कन्या या लड़के को मांगलिक कहा जाता है. जिसे कुज दोष भी कहा जाता है. लेकिन आम भाषा में समझें तो कहा जाता है कि मंगल दोष जिसकी कुंडली में होता है उस इंसान का वैवाहिक जीवन किसी ना किसी समस्याओं से गुज़रता रहता है.


आमतौर पर कुंडली में मंगल दोष होने से लोग भयभीत हो जाते हैं. इसका कारण है इससे जुड़े कुछ मिथक. जो मनुष्य को डराने का काम करते हैं. आइए जानते हैं मांगलिक दोषों से जुड़े कौन कौन से मिथक हैं. 


मांगलिक दोष के मिथक


सबसे पहला और आम मिथक ये है कि यदि मांगलिक और अमांगलिक जातक जातिका का विवाह कर दिया जाए तो उनका विवाह अवश्य टूट जाता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं. हां...रिश्तें में परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ सकता है लेकिन ऐसा नहीं है कि शादी टूट ही जाए.


दूसरा मिथक है कि मांगलिक जातिका का पहले वट वृक्ष से विवाह कराना चाहिए जो कि सही नहीं है.


तीसरा मिथक ये भी है कि मंगल के साथ गुरु या शनि की युति होती है तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है जबकि ऐसा नहीं है. माना तो ये जाता है कि मंगल दोष को कभी खत्म किया ही नहीं जा सकता. ज्योतिषीय तरीकों से उसके प्रभाव को भले ही कम किया जा सकता है. 


एक और मिथक है जो पूरी तरह से असत्य है वो ये कि  27 वर्ष की आयु के बाद मंगल दोष खुद ही समाप्त हो जाता है. जबकि ऐसा हो ही नहीं सकता. 


ये होते हैं मंगल दोष के प्रभाव


ये तो थे मंगल दोष को लेकर कुछ मिथक. जो काफी हद तक असत्य हैं लेकिन ये बात सही है कि कुंडली में मंगल दोष का प्रभाव ज़रुर पड़ता है. 


अगर जातक के  लग्न भाव में सूर्य है तो उसका  स्वभाव अत्यधिक तेज, गुस्सैल, और अहंकारी हो जाता है।


चतुर्थ भाव में मंगल होने से सुखों में कमी आती है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.  सप्तम भाव में अगर मंगल विराजमान हो तो वैवाहिक सम्बन्धों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 


मंगल का अष्टम भाव में होना विवाह के सुख में कमी, ससुराल के सुख में कमी लाता है. साथ ही ससुराल से रिश्ते तक बिगड़ जाते हैं।


वहीं द्वादश भाव में मंगल बैठा हो तो वैवाहिक जीवन में कठिनाई, शारीरिक क्षमताओं में कमी, रोग, कलह जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है.


ये कर सकते हैं उपाय


माना जाता है कि मंगल दोष को समाप्त नहीं किया जा सकता. लेकिन कुछ उपायों से उसके प्रभाव कम किए जा सकते हैं. जैसे - 




  • रोज़ाना श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें. अगर रोज़ाना संभव ना हो तो हर मंगलवार ज़रुर करें.

  • भगवान शिव और शक्ति की पूरी श्रद्धा से भक्ति करें.

  • शिवलिंग पर लाल रंग के फूल चढ़ाएं

  • लाल मसूर का दान हर मंगलवार करें. इसके अलावा गुड़ का दान भी किया जा सकता है. 

  • मंगलवार के दिन मजदूरों को खाना खिलाया जा सकता है.

  • हर मंगलवार हनुमान के चरणों में तुलसी के पत्तों पर सिंदूर से श्री राम लिखकर अर्पित करें.