कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंथन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है. भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे यही कारण है कि इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ इस वर्ष 12 नवंबर (गुरुवार) को रात 09 बजकर 30 मिनट से होगा जो 13 नवंबर (शुक्रवार) को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है. ऐसे में धनतेरस 13 नवंबर को पड़ रहा है.
पूजा का मुहुर्त
पूजा के लिए 30 मिनट का शुभ मुहूर्त है. धनतेरस की पूजा शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम को 05 बजकर 59 मिनट के बीच करें. देवताओं के वैद्य या आरोग्य के देवता धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा करनी चाहिए. धन्वंतरि को भगवान विष्णु का रुप माना जाता है.
यम का दीपक
धनतेरस के दिन शाम के समय में घर के बाहर एक दीपक जलाना चाहिए. यह दीपक यमराज के लिए जलाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार यम का दीपक जलाने से यमराज खुश होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
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