Chandra Grahan 2021: चंद्र ग्रहण को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन से अमृत निकला तो उसे ग्रहण करने के लिए देवता और दानवों में होड़ लग गई. ऐसे में श्रीहरि विष्णु के आदेश पर देवताओं को अमृतपान कराया जा रहा था. इसी दौरान स्वर्भानु नामक दैत्य ने छल से अमृत पान की कोशिश की थी. मगर चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई, उन्होंने तत्काल दैत्य स्वर्भानु की हरकत भगवान विष्णु को बता दी. इस पर भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया. मगर तब तक अमृत की कुछ बूंदें स्वर्भानु के गले से नीचे उतर चुकी थीं, जिसके चलते सिर और धड़ दोनों ही अलग-अलग दैत्य बनकर अमर हो गए. मान्यता है कि सिर राहु और धड़ केतु कहा गया. कहा जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं. जब ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ लेते हैं तो ग्रहण लगता है. इस दौरान भारी मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, जिससे दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं. ऐसे में इनसे भी नकारात्मक ऊर्जा के रूप में किरणें निकलती हैं तो अलग-अलग विकार पैदा कर सकती हैं, इसके चलते ग्रहण के दौरान शुभ कार्य नहीं करने की प्रथा प्रचलित है.
19 को चंद्र ग्रहण पर रहें सतर्क
चंद्र ग्रहण पर 19 नवंबर को किसी भी तरह का मांगलिक या शुभ कार्य की मनाही है. इस दौरान मन में ही ईष्ट देव की आराधना करनी चाहिए. चंद्र ग्रहण 19 नवंबर की सुबह 11 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगा और शाम 05 बजकर 33 मिनट पर पूरा होगा, हालांकि ये आंशिक ग्रहण होगा, जो भारत समेत यूरोप और एशिया के ज्यादातर हिस्सों में नजर आएगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में उपछाया के रूप में दिखेगा तो सूतक काल नहीं होगा.
फिजूलखर्जी, वादविवाद से बचें
हिंदू पंचांग के अनुसार, चंद्र ग्रहण विक्रम संवत 2078 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन वृष राशि और कृत्तिका नक्षत्र में लगेगा. इस कारण इस राशि और नक्षत्र में जन्मे लोगों पर ग्रहण का सर्वाधिक असर होगा. वृषभ राशि के जातकों को बेहद सतर्क रहना होगा. इस दौरान वाद-विवाद और फिजूलखर्ची से बचें. ज्योतिषियों के मुताबिक इस दौरान घर के अंदर रहकर ही ईष्टदेव की आराधना या मंत्र जाप करना चाहिए.
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