Kojagari Laxmi Pooja 2020: दिवाली से 15 दिन पहले की जाती है कोजागरी लक्ष्मी पूजा, जानिए आज के लिए शुभ मुहूर्त और महत्व
अश्विन मास की पूर्णिया तिथि को मनाए जाने वाले शरद पूर्णिमा के पर्व पर ‘कोजागरी लक्ष्मी’ की पूजा करने का खासा महत्व है. कोजगारी लक्ष्मी पूजन दिवाली के त्योहार से 15 दिन पूर्व मां लक्ष्मी को पूजने का शुभ अवसर माना जाता है.
30 अक्टूबर, शुक्रवार यानी आज शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है. अश्विन मास की पूर्णिया तिथि को मनाये जाने वाले शरद पूर्णिमा के पर्व पर ‘कोजागरी लक्ष्मी’ की पूजा करने का खासा महत्व है. कोजगारी लक्ष्मी पूजन दिवाली के त्योहार से 15 दिन पूर्व मां लक्ष्मी को पूजने का शुभ अवसर माना जाता है. बंगाल में इसे लक्ष्मी पूजा कहा जाता है.
पृथ्वी पर आधी रात विचरण करती है लक्ष्मी मां
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी का अवतरण हुआ था. कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी आधी रात को पृथ्वी पर भ्रमण करती है. चलिए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन कैसे की जाती है कोजागरी लक्ष्मी की पूजा .
कोजागरी लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर शुक्रवार को शाम 05 बजकर 45 मिनट से प्रारंभ हो रहा है जो शनिवार 31 अक्टूबर की रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इसलिए कोजागरी लक्ष्मी का पूजन शुक्रवार 30 अक्टूबर की रात में होगा. रात के 11 बजकर 39 मिनट से रात 12 बजकर 31 मिनट तक कोजागरी लक्ष्मी के पूजन का शुभ मुहूर्त है. यह पूजा देर रात में की जाती है क्योंकि कहा जाता है इसी समय मां लक्ष्मी पृथ्वी के भ्रमण के लिए निकलती हैं. इस दिन पूजा का कुल समय 52 मिनट का है. कोजागरी पूजा के दिन चंद्रमा का उदय शाम के 05 बजकर 11 मिनट पर होगा.
क्या है कोजागरी लक्ष्मी पूजन का अर्थ व महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कोजागरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा की रात जब मां लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं तो ‘को जाग्रति’ शब्द का उच्चारण करती है. इसका अर्थ है कि कौन जाग रहा है. इस दौरान माता देखती हैं कि पृथ्वी पर कौन-कौन जाग रहा है. जो लोग माता लक्ष्मी की भक्ति-भाव से अराधना करते हैं उनके घर लक्ष्मी मां अवश्य पधारती हैं. कोजागरी लक्ष्मी पूजन के महत्व को लेकर मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन कोजागरी लक्ष्मी की श्रद्धा-भाव से पूजा करने से जातक की दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
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