Krishanleela : गोकुल में महज आठ साल की उम्र में राधाजी के साथ प्रेम लीन कृष्ण का प्यार आज भी अमर है. मगर दोनों के विवाह न होने की वजह कई मायनों में अलग-अलग तरीके से देखी जाती है, कुछ इसे कृष्ण के इनकार का फल मानते हैं तो कुछ राधा की दुश्वारी का दर्द.
कुछ किवदंती कहती हैं कि राधाजी ने खुद विवाह से इनकार किया. फिर भी राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम जीवात्मा और परमात्मा का मिलन है. देवकी पुत्र श्री कृष्ण कुछ समय तक गोकुल में रहे फिर वृंदावन चले गए. कृष्ण राधा से आठ साल की उम्र में मिले थे, इसके बाद वह कभी वृंदावन लौटे नहीं. विवाह की बात पर राधाजी ने खुद यह सोचकर कृष्ण को इनकार कर दिया था कि वह एक ग्वाले की बेटी हैं और कृष्ण का विवाह किसी राजकुमारी से होना चाहिए, क्योंकि वह ग्वाले की बेटी होकर महलों के जीवन के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं होंगी.
एक मत यह भी है कि राधा जानती थीं कि लोग भी कृष्ण का विवाह किसी राजकुमारी से ही होता देखना चाहते थे. हालांकि कृष्ण ने राधा को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन राधाजी अपने निश्चय को लेकर दृढ़ थीं.
एक और व्याख्या कृष्णजी के इनकार को लेकर हैं, जिसके मुताबिक राधा ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा था कि वह उनसे विवाह क्यों नहीं करना चाहते तो कृष्णजी ने उन्हें बताया था कि कोई अपनी ही आत्मा से विवाह कैसे कर सकता है, श्रीकृष्ण ने यह समझाने का प्रयास किया कि वह और राधा एक ही आत्मा हैं, उनका कोई अलग अस्तित्व नहीं है. ऐसे में दोनों का विवाह साथ कैसे संभव है?
एक मान्यता यह भी है कि श्रीकृष्ण भगवान थे और राधा सामान्य भक्त. ऐसे में भक्त और भगवान के बीच विवाह का सवाल ही नहीं उठता था. कुछ लोग कृष्ण और राधा की सामाजिक परिस्थिति और पृष्ठभूमि को भी एक दूसरे के विपरीत मानते थे.
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार राधाजी और कृष्ण की सेविका श्रीदामा में बहस हो गई तो राधा ने क्रोधित हो कर श्रीदामा को राक्षस बनने का श्राप दे दिया, बदले में श्रीदामा ने भी राधा को श्राप दे दिया कि वह मानव रूप में जन्म लेकर प्रियतम से 100 साल के लिए बिछड़ जाएंगी. तुम्हें फिर श्रीहरि की संगति मिलेगी और गोकुल में लौटेंगी.
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