Mahabharat : महाभारत कथा में भले ही शिशुपाल के वध की कथा रोचक मानी जाती है, लेकिन इससे भी अधिक रोचक उसके जन्म की घटनाएं हैं. कहा जाता है शीशपाल का जब जन्म हुआ था तो तीन आंख और चार हाथ के साथ जन्मा था. ऐसे में माता-पिता ने उसे असुर शक्ति समझकर त्यागना ठीक समझा, तभी एक आकाशवाणी हुई, जिसमें बताया कि कोई दिव्य पुरुष की गोद में आते ही शिशुपाल सामान्य रूप में आ जाएगा.  



एक बार श्रीकृष्ण बुआ के घर गए तो उनके पुत्र शिशुपाल को कृष्ण ने स्नेहवास गोद में बिठा लिया, तभी शिशुपाल के अतिरिक्त अंग एक आंख, दो हाथ गायब हो गए तब उनके माता-पिता को वह आकाशवाणी याद आई, जिसके अनुसार विधि अनुसार वही व्यक्ति उनके बेटे की मृत्यु का कारण बनेगा, इस पर व्यथित कृष्ण की बुआ ने वचन ले लिया कि कृष्ण शिशुपाल का वध नहीं करेंगे. ऐसा करने से कृष्ण मना तो नहीं कर पाए, लेकिन बुआ को दुखी नहीं करना चाहते थे तो वचन दे दिया कि वह शीशपाल की सौ गलतियों को क्षमा कर देंगे. वध करना पड़ा तो भी शिशुपाल बैकुंठधाम को प्राप्त करेगा. 

इधर युवा हो रहे शिशुपाल का विवाह राजकुमार रुक्मा ने अपनी बहन रुक्मणी से तय किया था, लेकिन रुक्मणी सिर्फ श्रीकृष्ण को चाहती थीं और उनसे ही विवाह करना चाहती थीं. इस बीच रुक्मणी के विवाह के सारे आयोजन हो चुके थे, तब कृष्ण रुक्मणी को महल में मंडप से भगा कर ले गए और खुद विवाह कर लिया. इस अपमान से शिशुपाल कृष्ण से जलभुन गया. वह उन्हें भाई न मानकर शत्रु मान बैठा. 

सम्मान पर देने लगा गालियां
युधिष्ठिर के युवराजाभिषेक में कृष्ण को सबसे पहले भेंट आदि से सम्मानित किया गया तो शिशुपाल अपनी शत्रुता के चलते क्रोध से भर कर उन्हें अपशब्द बोलते लगा. कृष्ण बुआ और उसकी मां को दिए वचन के चलते चुप रहे लेकिन जैसे ही शिशुपाल ने सौ अपशब्द पूरे किए और 101वां शब्द कहा, कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का आवाहन कर उसका वध कर डाला.


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