Ramayan: इंद्रासन चाह रहे कुंभकरण की जीभ पर बैठीं सरस्वती, मुंह से निकल गया निन्द्रासन
अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए रावण, कुंभकरण और विभीषण तीनों भाइयों ने ब्रह्मदेव की कठिन तपस्या शुरू की. इस दौरान कुंभकरण के मन में स्वर्ग की सत्ता का लोभ आ गया, जहां वह रहते हुए जीवन भर भरपेट भोजन करना चाहता था, लेकिन उसकी इस इच्छा से सभी देव चिंतित थे. दरअसल ऐसा हो जाता तो वह संसार का सम्पूर्ण भोजन खत्म कर देता और सभी जगह त्राहि-त्राहि मच जाती.
Ramayan : रामायण भले ही राम और रावण के इर्द-गिर्द घूमती दिखती हो, लेकिन उसके कई पात्रों की समय के अनुसार बहुत बड़ी भूमिका सामने आई, इनमें से ही एक था रावण का भाई कुंभकरण. उसकी मां कैकसी राक्षस वंश की थीं तो पिता विशर्वा ब्राह्मण थे.
अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए रावण, कुंभकरण और विभीषण तीनों भाइयों ने ब्रह्मदेव की कठिन तपस्या शुरू की. इस दौरान कुंभकरण के मन में स्वर्ग की सत्ता का लोभ आ गया, जहां वह रहते हुए जीवन भर भरपेट भोजन करना चाहता था, लेकिन उसकी इस इच्छा से सभी देव चिंतित थे. दरअसल ऐसा हो जाता तो वह संसार का सम्पूर्ण भोजन खत्म कर देता और सभी जगह त्राहि-त्राहि मच जाती.
परेशान सभी देव ब्रह्मदेव से निदान पाने पहुंचे तो मां सरस्वती इसके निवारण की जिम्मेदारी उठाती हैं. वे देवताओं को बताती हैं कि तपस्या पूर्ण होने पर कुंभकरण जब वरदान मांगेगा तो मैं उसकी जीभ पर बैठ जाउंगी, जिससे वह बोल नहीं पाएगा.
कठिन तपस्या पूरी हुई और ब्रह्मदेव प्रसन्न होकर उसे दर्शन देते हैं. वह उससे मनचाहा वरदान मांगने को कहते हैं. कुंभकरण जैसे ही इन्द्रासन बोलने के लिये मुंह खोलता हैं तो उसकी जीभ् पर मां सरस्वती बैठ जाती हैं, उसके मुंह से इन्द्रासन के बजाय निन्द्रासन निकल जाता है. इतना सुनते ही ब्रह्मदेव तथास्तु कह जाते हैं. ऐसा वरदान सुनकर कुंभकरण ब्रहमदेव के सामने रो पड़ता है. वह याचना करता है कि ब्रह्मदेव सहायता करें.
ब्रहमदेव बताते हैं कि दिया वरदान वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं, इसलिये इतना कह सकता हूं कि तुम छह माह तक विश्राम करोगे, छह माह पूरे होते ही एक दिन के लिए जागोगे और फिर छह माह के लिये सो जाओगे. भारी मन से कुंभकरण यह बात स्वीकार करने को मजबूर हो जाता है. इस तरह कुंभकरण का वरदान ही उसके लिए अभिशाप बन जाता हैं. वो छह माह सोता और एक दिन उठकर भर पेट खाता और रिश्तेदार-संबंधियों से मिलकर वापस सो जाता. यही वजह रही कि उसे अंतिम समय में जाकर रावण के गलत कार्यों का पता चला.