Labh Panchami 2023: लाभ पंचमी कल ? नोट करें मुहूर्त, व्यापारियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व
Labh Panchami 2023: दिवाली के बाद लाभ पंचमी का विशेष महत्व है. इस दिन शिव परिवार, मां लक्ष्मी की पूजा के साथ नए व्यापार की शुरुआत करना शुभ माना जाता है. जानें लाभ पंचमी की डेट, मुहूर्त और महत्व
Labh Panchami 2023: दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और रोशनी के इस त्योहार का अंतिम दिन लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है. लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी और लाभ पंचम के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता है इस दिन शिव परिवार और माता लक्ष्मी की पूजा करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है और अपने नाम स्वरूप ये तिथि लाभ प्रदान करती है. आइए जानते हैं इस साल लाभ पंचमी कब है, डेट, मुहूर्त और महत्व.
लाभ पंचमी 2023 डेट (Labh Panchami 2023 Date)
इस साल लाभ पंचमी 18 नवंबर 2023 शनिवार को है. गुजरात में ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. बिजनेस करने वाले लोग इस दिन भी शुभ मुहूर्त में अपना प्रतिष्ठान खोलना पसंद करते है. ये तिथि सुख और समृद्धि बढ़ाती है. प्रगति होती है.
लाभ पंचमी 2023 मुहूर्त (Labh Panchami 2023 Muhurat)
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 17 नवंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 18 नवंबर 2023 को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.
- प्रातःकाल लाभ पञ्चमी पूजा मुहूर्त - सुबह 06:45 - सुबह 10:19
- अवधि - 3 घंटे 34 मिनट
लाभ पंचमी महत्व (Labh Panchami Significance)
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन कोई भी नया बिजनेस शुरू किया जा सकता है. दिवाली के बाद व्यापारी वर्ग इस दिन अपने दुकान और प्रतिष्ठान पुनः शुरू करते हैं. लाभ पंचमी पर अबूझ मुहूर्त रहता है. ऐसा माना जाता है कि लाभ पंचमी के दिन की गई पूजा से लोगों के जीवन, व्यवसाय और परिवार में लाभ, सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन व्यवसायी नए खाता बही का उद्घाटन करते हैं और मां लक्ष्मी से व्यापार में वृद्धि के लिए कामना करते हैं.
पूजा विधि (Labh Panchami Puja Vidhi)
लाभ पंचमी पर सुबह जल्दी नहाने के बाद से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव हनुमान जी और गणेश की मूर्तियों की पूजा करें. सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर श्री गणेश जी के रूप में विराजित करना चाहिए. चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद भगवान शिव को भस्म, बिल्व पत्र, धतूरा, सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन करना चाहिए. भोग चढ़ाएं और फिर नए बही खाता पर शुभ-लाभ लिखकर व्यापार की शुरुआत करें.
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