Laila Majnu: जब तक दुनिया में प्यार करने वाले लोग हैं तब तक लैला-मजनू, रोमियो-जूलियट और शीरीं-फरहाद जैसे प्रेमी को भूला पाना मुश्किल है. इन्होंने अपने सच्चे प्यार की ताकत दुनिया को दिखाकर ये बात साबित कर दी कि सच्चे प्यार के आगे सबको झुकना ही पड़ता है. हालांकि प्यार के नाम पर उन्हें उनकी मंजिल तो नहीं मिली, लेकिन दुनिया इनकी मिसाल आज तक देती है. आज जानेंगें लैला-मजनू के बारे में आखिर दोनों का भारत से क्या है नाता है, और मजनू के पैदा होते ही ज्योतिषी ने क्या भविष्यवाणी की थी.
लैला-मजनू की कहानी
11वीं शताब्दी में लैला-मजनू(Laila-Majnu) का जन्म हुआ था. उस समय भारत पाकिस्तान(Pakistan) का बंटवारा नहीं हुआ था. मजनू ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मुस्लिम परिवार के घर में जन्म लिया, जिस वजह से उसका नाम कायस इब्न अल-मुलाव्वाह रखा गया. बड़ा हुआ तो मदरसे में घरवालों ने तालीम लेने के लिए भेजा जहां पहली बार उसे लैला नाम की एक लड़की से मोहब्बत हो गई. प्यार में पड़े होने के कारण मजनू कविताओं में मग्न हो गया. मजनू की हर कविताओं में लैला का जिक्र होता था.
मजनू ने लैला से शादी करने का प्रस्ताव लैला के घर वालों के सामने रखा, लेकिन लैला के घरवाले इस रिश्ते के लिए न मानें. तब मजनू को उसके बचपन की भविष्यवाणी(Prediction) याद आ गई कि प्रेम रोग के कारण उसे दर दर भटकना पड़ेगा.
एक ज्योतिषी (Astrologer) ने मजनूं के जन्म के समय ही यह भविष्यवाणी कर दी थी. इधर लैला के घरवालों ने उसकी शादी धनी व्यापारी से करवा दी. शादी से ना खुश रहने के कारण लैला ने मजनू के बारे में अपने शोहर से सब कुछ बता दिया, जिससे नाराज होकर लैला के पति कैफी ने उसे तलाक दे दिया. इसके बाद लैला-मजनू दोनों घर से भाग गए.
लैला-मजनू का संबंध भारत से
लैला-मजनू(Laila-Majnu) के भागने की खबर जब लैला के घर में पता चली तो उसके भाई काफी गुस्सा हुआ और दोनों की तलाश करने लगा, वही परिवार से खौफ के कारण दोनों दर दर भटकने लगे. कहा जाता है कि लैला-मजनू भटकते भटकते श्रीगंगानगर के नजदीक अनूपगढ़ तहसील के गांव बिंजौर पहुंच गए. दूर दूर तक फैले रेगिस्तान में पानी न मिलने के कारण दोनों की मौत हो गई और दोनों को एक साथ ही दफना दिया गया.
इसके बाद 1960 से यहां मेला लगना शुरू हुआ जो आज तक जारी है. हर वर्ष 15 जून के मौके पर लैला-मजनू(Laila-Majnu) को याद करते हुए अनूपगढ़ में मेला लगता है. जहां प्रेमी जोड़े मजार पर आकर चादर चढ़ाते हैं.
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