लक्ष्मी पंचमी पर ऐसे प्रसन्न करें लक्ष्मी माता को, ये है पूजन विधि, मंत्र और आरती
कलयुग में माता लक्ष्मी को दुख निवारण और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है. 29 मार्च को लक्ष्मी पंचमी है.इस दिन लक्ष्मी जी विधि पूर्वक पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं.
Laxmi Panchami: जीवन में आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों को इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा जरुर करनी चाहिए. वहीं ऐसे लोग जो कर्ज की समस्या से परेशान हैं और उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा है वे भी इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा कर सकते हैं. इस दिन पूजा के साथ-साथ दिन भर उपवास भी रखा जाता है. इस दिन स्कंदमाता की भी पूजा है. नवरात्रि में जो लोग व्रत रखें हुए हैं वे इस दिन स्कंदमाता के साथ-साथ लक्ष्मी जी की पूजा कर सकते हैं.
लक्ष्मी पंचमी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी एक बार देवताओं से नाराज हो गईं और क्षीर सागर में जा मिली. मां लक्ष्मी के चले जाने से देवता परेशान हो उठे. तब देवराज इंद्र ने मां लक्ष्मी को पुन: प्रसन्न करने के लिये कठोर तपस्या की. इंद्र ने विशेष विधि विधान से उपवास रखा. उनका अनुसरण करते हुए अन्य देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा, देवताओं की तरह असुरों ने भी मां लक्ष्मी की उपासना की. अपने भक्तों की पुकार मां ने सुनी और वे व्रत समाप्ति के पश्चात पुन: उत्पन्न हुई. जिसके बाद भगवान श्री विष्णु से उनका विवाह हुआ और देवता फिर से लक्ष्मी जी की कृपा पाकर प्रसन्न हो गए.
पूजन विधि
इस दिन सोने, तांबे या फिर चांदी से लक्ष्मी जी की कमल के फूल साथ पूजा करनी चाहिए. लक्ष्मी जी को अनाज, हल्दी, गुड़, अदरक अर्पित करने चाहिए. हवन भी करना चाहिए. जो लोग हर माह लक्ष्मी जी का व्रत रखते हैं उन्हें विधिनुसार व्रत का उद्यापन करना चाहिए. मान्यता है कि जो यह पूजा करता है वह अपने 21 कुलों के साथ मां लक्ष्मी के लोक में जगह पाता है. जो स्त्रियां इस व्रत को रखती हैं वह सौभाग्यवती होती हैं. इस दिन रात्रिकाल में माता लक्ष्मी का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है.
मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।
आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता. तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता.
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता. सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता . जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता .
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता. कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो , ताँहि में हैं सद् गुण आता. सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता. खान पान का वैभव, सब तुमसे आता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता. रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता. उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता. रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता. तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥