वैभव लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. भारत में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला सबसे प्रमुख मनोकामना व्रत वैभव लक्ष्मी का है. इस व्रत को कोई भी कर सकता है पर सुहागिन स्त्रियों के लिए इसे अधिक शुभदायी माना गया है. इस व्रत को प्रारम्भ करने के बाद नियमित 11 या 21 शुक्रवार तक करने का नियम है. व्रत के दिन मां लक्ष्मी के पूजन से दिन आरंभ करें. दिन के समय सोएं नहीं. न ही दैनिक कार्य त्‍यागें. आलस्‍य दूर रखें. आलसी लोगों से मां लक्ष्‍मी दूर रहती हैं. व्रत के दिन सुबह उठकर घर की सफाई करें. जिस घर में साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता, वहां देवी लक्ष्मी निवास नहीं करतीं हैं.


पूजा विधि
घर में ऐसी तस्वीर लगाएं जिसमें मां लक्ष्मी के हाथों से धन गिर रहा हो. अगर आपके हाथों में पैसा नहीं रुकता और बहुत ज्यादा खर्च होता है तो ऐसी तस्वीर लगाएं जिसमें मां वैभव लक्ष्मी खड़ी हों और उनके हाथों से धन गिर रहा हो. मां की तस्वीर के सामने दीया जलाएं. मां के लिए हमेशा घी का दीया ही जलाएं. मां लक्ष्मी को इत्र चढ़ाएं और उसी इत्र का नियमित इस्तेमाल करें. अगर बेवजह धन ज्यादा खर्च हो रहा है तो मां के चरणों में हर दिन एक रुपये का सिक्का अर्पित करें और उसे जमा कर महीने के अंत में किसी धनी स्त्री को दे दें. अगर आप मां लक्ष्मी की हर दिन विधिवत पूजन नहीं कर पा रहे हैं तो हर शुक्रवार मां लक्ष्मी की व्रत कथा का पाठ जरूर करें. ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे. मां की कृपा प्राप्त होगी.

संकल्प लिए गए शुक्रवार पूर्ण होने पर व्रत करने वाली सुहागिन को व्रत का उद्यापन करना चाहिए उसमें सात, ग्यारह या इक्कीस कुआंरी कन्या को भोजन कराना चाहिए. व्रत पुस्तक के साथ श्रृंगार की वस्तु देना चाहिए या इसी संख्या में सुहागिन महिलाओं से उद्यापन की विधि पूर्ण करनी चाहिए. उद्यापन के दिन तथा हर शुक्रवार को व्रत के दौरान खीर का भोग लगाने और उसका प्रसाद ग्रहण करने का विधान बताया जाता है.