Lalita Panchami 2022: मां भवानी की पूजा का पर्व शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर 2022 से शुरू हो रही है. हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. साथ ही इस दिन ललिता पंचमी का व्रत भी रखा जाता है. इसमें देवी सती के रूप मां ललिता की आराधना की जाती है. देवी ललिता मां की दस महाविद्याओं में से एक हैं. इन्हें त्रिपुरा सुंदरी और षोडसी के नाम से भी जाना जाता है. महाराष्ट्र और गुजरात में इस व्रत का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं ललिता पंचमी व्रत का मुहुर्त और महत्व.
ललिता पंचमी 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 30 सितंबर 2022 सुबह 12 बजकर 08 मिनट से उसी दिन रात में 10 बजकर 34 मिनट तक रहेगी.
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 53 - दोपहर 12 बजकर 41 (30 सितंबर 2022)
ललिता पंचमी कथा
पिता दक्ष द्वारा भोलेनाथ का अपमान सहन न कर पाने पर देवी सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे. इसके बाद भगवान शिव उनकी देह को उठाए घूम रहे थे. चारों ओर हाहाकार मच गया था. भगवान शिव का मोह भंग करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को विभाजित कर दिया था. तब भगवान शंकर ने उन्हें अपने हृदय में धारण किया, इसलिए ये ललिता कहलाईं.
ललिता पंचमी व्रत महत्व
ललिता पंचमी का व्रत करने से सारे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. ललिता पंचमी व्रत के प्रभाव से भक्तों के समस्त कष्ट दूर होते हैं. ललिता पंचमी व्रत के दिन ललितासहस्त्रनाम या फिर ललितात्रिशती का पाठ करना उत्तम होता है.
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