जानें, कब मनाई जाएगी गीता जयंती, क्यों मानवता के लिए जरुरी है यह ग्रंथ
महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र और भक्त अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया था तभी से गीता की शिक्षाएं मानवजाति को सत्य की राह दिखा रही हैं.
प्रत्येक साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन इसे मनाया जाता है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इस साल 25 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी. गीता को हिंदू धर्म सार ग्रंथ माना जा सकता है. धर्म, कर्म, अध्यात्म, ब्रह्म, जीवसभी विषयों पर इसमें चर्चा की गई है. गीता की शिक्षाएं युगों युगों से मानवता को सत्य की राह दिखाती आ रही हैं.
महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र और भक्त अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया था. श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. इन श्लोकों में कर्म, धर्म, कर्मफल, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य आदि जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं. श्रीमद्भगवद्गीता में ऐसी अनेक बातें हैं जिन्हें हम जीवन में अपनाकर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं.
आत्मा अमर है शरीर नश्वर गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मृत्यु एक अटल सत्य है. यह शरीर नश्वर है. आत्मा अजर अमर है, आत्मा को कोई काट नहीं सकता अग्नि जला नहीं सकती और पानी गीला नहीं कर सकता. जिस प्रकार से एक वस्त्र बदलकर दूसरे वस्त्र धारण किए जाते हैं उसी प्रकार आत्मा एक शरीर का त्याग करके दूसरे जीव में प्रवेश करती है.
कर्मों के अनुसार मिलता है फल भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि मनुष्य को उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही फल प्राप्त होता है. इसलिए मनुष्य को सदैव सत्कर्म करने चाहिए. गीता में कही गई इन बातों को प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में मानना चाहिए.
परमात्मा के साथ रहने के लिए देनी होती है जीवनरूपी परीक्षा भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आत्मा को परमात्मा के साथ हमेशा रहने के लिए इस जीवनरूपी परीक्षा को देना ही होगा. वह कहते हैं कि 88 हजार करोड़ योनियों में भ्रमण करने के बाद व्यक्ति को मर्यादित जीवन जीने का मौका देने के लिए मनुष्य रूपी जन्म लेने का अवसर मिलता है. इस जीवन में गुणों के आधार पर परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है.
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