Hanuman Ji Flying Speed Mystery:  विज्ञान के शोध से भले ही आज कई रहस्यों के बारे में पता चलता है, लेकिन श्री रामचरितमानस में विज्ञान से पहले ही कई रहस्य लिखे जा चुके हैं. आज वैज्ञानिक शोध से पृथ्वी से सूर्य की दूरी, ग्रहों की गति या चाल आदि के बारे में पता लगाया जा चुका है. लेकिन हनुमान चालीसा में वैज्ञानिकों के पता लगाने से पहले ही पृथ्वी से सूर्य की दूरी के बारे में बताया जा चुका था.


पवनपुत्र महाबलि हनुमान जोकि हवा में भी उड़ सकते थे, क्योंकि उनमें वानर गुण था. भगवान हनुमान लंबी-लंबी छलांगें भी लगा सकते थे. लेकिन अहम प्रश्न यह है कि, हनुमान जी जब हवा में छलांग लगाते थे तब उनकी स्पीड या गति कितनी होती थी. 



हनुमान जी के उड़ने की गति


हनुमान जी के उड़ने की गति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि, रात 9 बजे से 12 बजे तक लक्ष्मण और मेघनाद के बीच युद्ध हुआ था. जब मेघनाद द्वारा लक्ष्मण जी को बाण लगा तो वे रात के करीब 12 बजे मूर्छित हो गए थे. इसके बाद हनुमान जी रावण के भाई विभीषण के कहने पर सुषेण वैद्य को करीब रात्रि 1:00 बजे लंका से लेकर आए थे.


सुषेण वैद्य ने लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए हिमालय के पास द्रोणागिरी पर्वत पर चार तरह के औषधियों को सूर्योदय से पहले लाने को कहा. करीब रात 1:30 बजे हनुमान जी औषधियां लाने निकल गए और ढाई हजार किलोमीटर दूर हिमालय के द्रोणगिरि पर्वत से औषधि लेकर आएं. आधे घंटे उन्होंने औषधि ढूंढने में लगा दिया होगा, ऐसा अनुमान लगाया जाता है.


आधे घंटे का समय कालनेमि नामक राक्षस ने हनुमान जी भ्रमित करने में लगाया होगा और आधे घंटे का समय भरतजी द्वारा उनको नीचे गिराने में और वापस भेजने देने में लगा होगा. इसका मतलब है कि हनुमान जी को औषधि लाने के लिए आने-जाने में केवल 2 घंटे का समय मिला था.


हनुमान जी केवल दो घंटे में ही द्रोणगिरी पर्वत हिमालय पर जाकर वापस पांच हजार किलोमीटर की यात्रा करके आये थे. इस तरह से अनुमानित तौर पर उनके हवा में उड़ने की गति ढाई हजार किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी. वहीं वर्तमान में भारतीय वायु सेना का लड़ाकू विमान मिराज की गति 24 सौ किलोमीटर प्रति घंटा है. इस तरह से ऐसा माना जा सकता है कि हनुमान जी वायुसेन के लड़ाकू विमान मिराज की गति से भी तेजी से उड़कर कई अवरोधों को दूर करके सूर्योदय से पूर्व औषधि लेकर आ गए थे.


हनुमान चालीसा के अनुसार हनुमान जी के उड़ने की गति


हनुमान चालीसा के दोहे की इस पंक्ति ‘जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू’ में उनके उड़ने की गति के बारे में बताया गया है. इस दोहे का अर्थ है कि, हनुमान जी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी कि सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था. इसके अनुसार..


एक युग = 12000 वर्ष
एक सहस्त्र = 1000
एक योजन = 8 मील
युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
एक मील = 1.6 किमी
14.96 करोड़ किलोमीटर.


प्रति सेकंड हनुमान जी हवा में उड़ने की गति


वैज्ञानिकों द्वारा यह बहुत पहले ही पता लगाया जा चुका है कि, किसी भी चीज को पृथ्वी से किसी दूसरे ग्रह (केवल चंद्रमा को छोड़कर) तक जाना हो तो उसे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण (gravitational force) से मुक्त होना होता है और इसके लिए पलायन वेग (escape velocity) का होना जरूरी है.


क्योंकि स्पीड नहीं हुई तो वह चीज पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में बनी रहेगी और पृथ्वी के चक्कर लगाती रहेगी. अंतरिक्ष विज्ञान के अनुसार, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए किसी भी चीज को कम से कम 11 किलोमीटर मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से उड़ना जरूरी होता है.


ऐसे में हनुमान चालीसा के दोहे ‘जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू’ में बताया गया है कि हनुमान जी ने पृथ्वी से सूर्य तक की यात्रा की है. इसलिए उनके उड़ने या फिर छलांग लगाने की हाई स्पीड 11 किलोमीटर प्रति सेकंड से ज्यादा रही होगी.


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