Dakshinmukhi Hanuman Temple: देश की राजधानी नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में हनुमान जी का प्राचीन मंदिर स्थित है, जोकि दक्षिणमुखी है. यह हनुमान जी के पौराणिक मंदिरों में एक है. यह विश्व का ऐसा विशाल मंदिर है जो दक्षिणमुखी है. यहां भगवान हनुमान स्वयंभू हैं.


मंदिर से भक्तों की श्रद्धा और आस्था जुड़ी है. इसलिए मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. खासकर मंगलवार, शनिवार, हनुमान जंयती और हनुमान जी के विशेष पर्व में मंदिर में श्रद्धालु की खूब भीड़ होती है. जानते हैं दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और इतिहास के बारे में.


क्या है मंदिर का इतिहास



  • पांडवों द्वारा की गई मंदिर की स्थापना- मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता और इतिहास के अनुसार, इसका ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जिसे पांडवों द्वारा महाभारत काल में यमुना नदी के तट पर बसाया गया था. उस समय पांडवों का राज इंद्रप्रस्थ और कौरव का राज हस्तिनापुर पर हुआ करता था. कहा जाता है कि इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों द्वारा इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की गई थी, हनुमान जी का यह दक्षिणमुखी मंदिर भी उन्हीं पांच मंदिरों में एक है.

  • राजा मानसिंह ने कराया मंदिर का निर्माण- इतिहास के पन्नों पर मंदिर निर्माण 1364 ईसवी  बताया गया है. राजा मानसिंह ने अपने पुत्र जय सिंह के नाम पर मंदिर का निर्माण कराया था. कहा जाता है कि राजा मानसिंह ने मजदूरों को किसी कार्य के लिए इस स्थान की साफ-सफाई करने के आदेश दिए.  खुदाई के दौरान यहां जमीन से हनुमान जी की मूर्ति निकली. इसके बाद राजा मानसिंह ने इस स्थान पर हनुमान जी के मंदिर बनवाने का आदेश दिया.


क्या है मंदिर का महत्व



  • इसी मंदिर में लिखा गया हनुमान चालीसा- मान्यता है कि संत तुलसीदास जब 16 वीं सदी में दिल्ली भ्रमण के लिए आए थे, तब उन्होंने इस मंदिर के दर्शन किए थे. इसी पवित्र स्थान से रामचरित मानस जैसे धर्मग्रंथ लिखने वाले तुलसीदास जी को 40 चौपाई वाले हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मिली.

  • सांमप्रदायिक एकता की मिसाल है मंदिर- हनुमान जी का यह दक्षिणमुखी मंदिर को न सिर्फ हिंदू बल्कि सर्वधर्म एकता का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि एक बार मुगल बादशाद अकबर ने इस मंदिर में पुत्र की प्राप्ति के लिए कामना की थी और हनुमान जी की कृपा से उन्हें सलीम के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई. आज भी मंदिर के शिखर पर ओम और किरीट कलश के साथ चंद्रमा स्थित है, जोकि सांमप्रदायिक एकता की मिसाल है.


मंदिर से जुड़ी मान्यताएं


हनुमान जी के इस दक्षिणमुखी मंदिर के प्रधान महंत मदनलाल शर्मा ‘बाबाजी’ के अनुसार, इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी है, जो भक्तों को अपने से जोड़कर रखती हैं. बाबाजी का कहना है कि यह दक्षिणमुखी मंदिर है, जिस कारण इसे हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है और इतना विशाल दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर पूरे विश्व में कहीं नहीं है. बाबाजी के अनुसार इस मंदिर की देखरेख और सेवा में उनके परिवार की 34 पीढ़ियां जुटी हैं. समय-समय पर जरूरतानुसार मंदिर में कार्य कराए जाते हैं, जिससे कि भक्तों को सुविधा हो और मंदिर की सुंदरता ,भव्यता और आकर्षक बढ़ सके.


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