Ram Aayenge: राम इक दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुँची जाई..रामलला की पतंग का इंद्रलोक पहुंचना खेल या लीला ?
Ram Aayenge: भगवान राम ने बाल्यवस्था में कई क्रीड़ाएं और लीलाएं कीं, इन्हीं में एक है पतंग उड़ाना. एक बार तो रामजी की पतंग उड़ते-उड़ते हुए इंद्रलोक पहुंच गई, फिर क्या हुआ आइए जानते हैं.
Ram Aayenge: रामायण और रामचरित मानस हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ हैं. महर्षि वाल्मीकि ने रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रामचरित मानस की रचना गई है. रामचरित मानस में जहां रामजी के राज्यभिषेक तक का वर्णन मिलता है, तो वहीं रामायण में श्रीराम के महाप्रयाण (परलोक गमन) तक का वर्णन किया गया है.
रामजी का जन्म भगवान विष्णु के 7वें अवतार के रूप में हुआ. रावण और अन्य अधर्मी असुरों से धर्म की रक्षा करने लिए ही त्रेतायुग में राम मानव अवतार में जन्मे. मानव रूप में रामजी ने जीवन एक सामान्य मनुष्य की भांति भोगे, भले ही वो लीला स्वरूप ही क्यों न हो.
प्रेम मगन कौसल्या निसि दिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
अर्थ: प्रेम में मग्न माता कौशल्या को दिन-रात का बीतना पता नहीं था. पुत्र स्नेह में माता उनके बालचरित्रों का गान किया करती थीं.
प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥
आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषइ मन राजा।।
अर्थ: रघुनाथजी सुबह उठकर माता-पिता और गुरु को मस्तक नवाते और आज्ञा लेकर नगर का काम करते. उनके चरित्र को देख राजा दशरथ मन में बड़े हर्षित होते हैं.
राम आएंगे के छठे भाग में हमने जाना कि रामलला कैसे अपनी बाल क्रीड़ाओं और लीलाओं से न केवल पिता दशरथ और माता कौशल्या का मन पुल्कित कर रहे थे, बल्कि उनकी बाल क्रीड़ाओं का मनोहर रूप से समस्त नगरवासी भी सुख ले रहे थे. प्रभु राम की बाल क्रीड़ाओं में उनकी लीला भी छिपी रहती थी. राम आएंगे के सातवें भाग में जाएंगे रामजी की ऐसी ही एक बाल अद्भुत लीला के बारे में.
बालरूप में भी रामजी ने बहुत सी लीलाएं कीं. रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने एक प्रसंग का उल्लेख किया है, जब भगवान राम अपने भाईयों के साथ पतंग उड़ा रहे थे. आइये आनंद लेते हैं श्रीराम की इस अद्भुत बाल लीला का, जिसका उल्लेख बालकांड में मिलता है-
राम इक दिन चंग उड़ाई।
इंद्रलोक में पहुँची जाई॥
एक बार रामजी अपने भाईयों और मित्र मंडली के साथ पतंग उड़ा रहे थे. तब उनकी पतंग उड़ते हुए इन्द्रलोक पहुंच गयी. पतंग को देख इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हुई. उसने इस अद्भुत पतंग को देख विचार किया कि, जिसकी पतंग इतनी सुंदर है वह स्वयं कितना सुंदर होगा.
जासु चंग अस सुन्दरताई।
सो पुरुष जग में अधिकाई।।
इधर पतंग न मिलने पर रामजी ने अपनी पतंग ढूंढने के लिए बाल हनुमानजी को भेजा. हनुमानजी उड़ते हुए आकाश में पहुंचे और देखा कि जयंत की पत्नी के पास रामजी की पतंग है. उन्होंने उससे पतंग वापस देने को कहा. लेकिन उसने कहा कि पहले बताओ कि यह पतंग किसकी है. जब बाल हनुमान ने रामजी का नाम लिया तो, उसने रामजी से मिलने की इच्छा प्रकट की. हनुमान जी वापस लौट आए और सारी बात प्रभु राम को बताई.
रामजी बोले, उस स्त्री से जाकर कहना कि उसे चित्रकूट में अवश्य हमारे दर्शन होंगे. जब हनुमानजी ने जयंत की पत्नी को यह बात बताई तो उसने तुरंत ही पतंग छोड़ दी. इस प्रसंग पर तुलसीदास लिखते हैं-
तिन तब सुनत तुरंत ही, दीन्ही छोड़ पतंग।
खेंच लइ प्रभु बेग ही, खेलत बालक संग।
(राम आएंगे के अगले भाग में जानेंगे रामलला की शिक्षा)
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