Lord Shiva Rishi Rina: मनुष्य के रूप में जन्म लेने के बाद व्यक्ति अपने कार्यों से पाप और पुण्यों को अर्जित करता है. शास्त्रों में बताया गया है कि यदि व्यक्ति अपने जीवनकाल में कुछ ऋणों को चुकता कर दे तो उसे पापों से छुटकारा मिलता है.


शास्त्रों में तीन प्रकार के ऋण के बारे में बताया गया है जो क्रमश: इस प्रकार से हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण. हालांकि कुछ जगहों पर चौथे ऋण का भी वर्णन मिलता है जिसे ब्रह्मा ऋण कहते हैं. इसमें ऋषि ऋण को शिवजी का ऋण कहा जाता है. जानते हैं ऋषि ऋण यानी शिवजी के ऋण के बारे में.


क्या है ऋषि ऋण- ऋषि ऋण को शिव जी का ऋण कहा गया है. कहा जाता है कि हर व्यक्ति पर भोलेनाथ का यह ऋण रहता है, जिसे नहीं उतारने पर भगवान क्रोधित हो जाते हैं और इससे आपका जीवन संकटों से घिर सकता है. मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर शिवजी का यह ऋण रहता है, उसे मृत्यु के बाद भी किसी तरह की मदद नहीं मिलती है.


कैसे उतारें शिवजी का ये ऋण


शास्त्रों में शिवजी के ऋषि ऋण उतारने के सरल तरीके के बारे में बताया गया है. इसके अनुसार जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में वेद, उपनिषद और गीता का पाठ करता है और इससे प्राप्त ज्ञान को दूसरों में बांटता है तो यह ऋण उतर सकता है. इसके अलावा भी ऋषि ऋण को उतारने के कुछ उपायों के बारे में बताया गया है जोकि इस प्रकार से है..



  • प्रतिमाह गीता का पाठ अवश्य करें और सत्संग व धार्मिक कार्यों में जाते रहें.

  • शरीर, मन और घर को साफ-सुथरा रखें और अच्छे आचरण का अनुसरण करें.

  • माथे पर घी, केसर, भभूत और चंदन का तिलक लगाएं.

  • तुलसी, बरगद (वट) और पीपल जैसे धार्मिक पेड़-पौधों में जल अर्पित करें.

  • गुरुजन, माता-पिता और बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें.


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