Baikunth Chaturdashi 2020 : भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वंय विष्णु ने पढ़ा था ये मंत्र, आप भी ज़रुर करें इसका उच्चारण
क्या आप जानते हैं उस विशेष मंत्र के बारे में जिसके उच्चारण के बिना बैकुंठ चतुर्दशी के दिन पूजा अधूरी मानी जाती है? हम उसी मंत्र के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
बैकुंठ चतुर्दशी यानि वो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की वो चतुर्दशी जो बैकुंठ धाम दिलाती है. कहते हैं इस दिन अगर किसी मनुष्य की मौत हो तो उसे सीधे बैकुंठ धाम मिल जाता है. यानि स्वर्ग के द्वार खुद ब खुद खुल जाते हैं.
ये दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष उपासना के लिए समर्पित होता है. इस बार 28 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष दिन है. और हर कोई इस दिन इनकी उपासना से विशेष फलों की प्राप्ति कर सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं उस विशेष मंत्र के बारे में जिसके उच्चारण के बिना बैकुंठ चतुर्दशी के दिन पूजा अधूरी मानी जाती है? हम उसी मंत्र के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
इस मंत्र से करें बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा
जिस मंत्र का उच्चारण बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सबसे अहम माना गया है वो है -
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
कहा जाता है कि इस मंत्र का उच्चारण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वंय भगवान विष्णु ने किया था. और भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया था. चूंकि बैकुंठ चतुर्दशी पर हरि(विष्णु) और हर(शिव) की ही विशेष रूप से पूजा होती है इसीलिए इस मंत्र का उच्चारण सर्वश्रेष्ठ माना गया है. जिससे आप दोनों ही शक्तियों को एक साथ प्रसन्न कर सकते हैं.
क्या है इस मंत्र का अर्थ
ये मंत्र संस्कृत में है जिसे खुद भगवान विष्णु ने शिव की स्तुति के लिए कहा था. वहीं अगर हिंदी में इस मंत्र का अर्थ जानना चाहे तो इसका अर्थ है करुणा के साक्षात् अवतार जो गले में सांपो की माला रखते हैं और शिव जो सदैव पार्वती के साथ मेरे ह्द्य में रहते हैं उन्हें मैं बार बार नमन करता हूं.
यानि इस मंत्र से भगवान शिव को आराधना का पहला संदेश भेजा जाता है.
मंत्र जाप के अलावा करें विशेष उपाय
इस दिन मंत्र जाप के अलावा भगवान विष्णु और शिवजी के समक्ष कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं. ताकि इनका आशीर्वाद प्राप्त कर घर में सुख , समृद्धि व खुशहाली की स्थापना हो सके.