नई दिल्ली: हिन्दू धर्मशात्र के पुराणों में एकादशी व्रत का महिमा मंडन बहुत किया गया है. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रशन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में आई परेशानियों का अंत होता है. महीने में दो बार आने वाले एकादशी को कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दो नामों से जाना जाता है. दोनों की एकादशी का अपना अलग-अलग महत्व है. साथ ही पितृ और पूर्वज के स्वर्ग का मार्ग भी एकादशी व्रत को रखने पर खुल जाता है.


एकादशी का व्रत करने वाले इन चीजों के सेवन से बचें
साल में 24 बार आने वाले एकादशी व्रत में कई चीजों का सेवन पर पूरी तरह वर्जित है. व्रत में नमक, तेल, चावल और मांस खाना पूरी तरह वर्जित है. इसके अलावा हिन्दू महीने फागुन में आने वाली विजया एकादशी पर जल और अन्न पर रोक है. केवल बीमारी और अन्य विपरीत परिस्थितियों में ही फल का सेवन कर सकते हैं.


जरूरतमंदों की मदद करने से भगवान होते हैं खुश


एकादशी व्रत पर हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग अपने घरों पर चावल नहीं बनाते हैं. इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से भगवान खुश होते हैं. व्रती को दिन में एक बार से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए. साथ ही स्त्रियों की समीपता से भी दूर रहना चाहिए. लोगों को शांत मन से ईश्वर का ध्यान लगते हुए गलत लोगों से दूर रहना चाहिए.


आज का दिन बहुत ही पुन्य फागुन महीने का एकादशी है. लोग मंगलवार दोपहर बार से बुधवार शाम तक व्रत रह सकते हैं. जबकि व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त अगले दिन गुरुवार को सुबह का है. इस दिन व्रत रखने वाले सुबह उठकर स्नान के बाद वेदी पर यज्ञ करने के बाद पारण करें.


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