हिंदू धर्म में विश्वकर्मा जयंती भगवान विश्वकर्मा को समर्पित हैं. धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार हैं. विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है.


भगवान विश्वकर्मा ने अलग-अलग युगों में कई नगरों और भवनों का निर्माण किया है. सत्ययुग में उन्होंने स्वर्गलोक का निर्माण किया. इसके बाद  त्रेता युग में भगवान विश्वकर्मा ने लंका का निर्माण किया.


कहा जाता है कि रावण के मन में अपनी प्रतिष्ठा के अनुकूल ऐसे नगर के निर्माण का विचार आया जिसके आगे देवताओं की अलकापुरी भी फीकी लगे. रावण ने शिव की आराधना कर उनसे सोने की लंका बनाने में देवशिल्पी विश्वकर्मा का सहयोग मांगा. शिव के कहने पर विश्वकर्मा ने सोने की लंका का ऐसा प्रारूप बनाया जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है.


द्वापर युग में भगवान विश्वकर्मा ने द्वारका का निर्माण किया. कलियुग के आरम्भ के 50 वर्ष पूर्व हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया.


धार्मिक विश्वास है कि विश्वकर्मा ने ही जगन्नाथ पुरी के जगन्नाथ मन्दिर में स्थित विशाल मूर्तियों (कृष्ण, सुभद्रा और बलराम) का निर्माण किया.


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