Naivedhya: जीवन में हर कोई जो भी कर्म कर रहा है उसका परिणाम यानी प्रसाद अवश्य चाहता है. जीवन में जो भी प्राप्ति होती है वह ईश्वर की कृपा से ही होती ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए उन्हें उनका मनपसंद भोग लगाया जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम प्रेमी का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुण रूप में प्रकट होकर प्रीति सहित खाता हूं. पूजा-पाठ या आरती के बाद तुलसीकृत जलामृत व पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को 'प्रसाद' कहते हैं. पूजा के समय जब कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं के समक्ष प्रस्तुत की जाती है तो वह सामग्री प्रसाद के रूप में वितरण होती है. इसे 'नैवेद्य' भी कहते हैं.
हिन्दू धर्म में मंदिर में या किसी देवी या देवता की मूर्ति के समक्ष प्रसाद चढ़ाने की प्राचीन काल से ही परंपरा रही है. यह बहुत महत्वपूर्ण सवाल है कि किस देवता को चढ़ता है कौन-सा प्रसाद. आजकल लोग कुछ भी लेकर आ जाते हैं और भगवान को चढ़ा देते हैं, जबकि यह अनुचित है. यह तर्क देना कि 'देवी या देवता तो भाव के भूखे होते हैं, प्रसाद के नहीं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किस देवता को चढ़ता है किस चीज का प्रसाद जिससे कि वे प्रसन्न होंगे.
- गणेश भोग- गणेशजी को मोदक या लड्डू अच्छा लगता है. इसके अलावा आप उन्हें बूंदी के लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं. गणपति जी को गन्ने की गडेरी, कैथा, जामुन, सूखी गरी और गुड़ बहुत ही प्रिय है.
- राम भोग- भगवान श्रीरामजी को केसर युक्त खीर, और पूरे घर के भोजन के साथ कलाकंद पसंद हैं.
- विष्णु भोग- विष्णुजी को किशमिश का भोग लगाना चाहिए. साथ ही आंवले का भोग लगाना अतिशुभ होता है. खीर में सूखे मेवे डालने चाहिए और अंत में तुलसी जरूर डालें. उसे उत्तम प्रकार से बनाएं और फिर विष्णुजी को भोग लगाने के बाद वितरित करें.
- शिव भोग- शिव को भांग और पंचामृत (दूध, दही, शहद, गंगाजल, घी) का पसंद है. श्रावण मास में शिवजी की उपवास रखकर उनको गुड़, चना और चिरौंजी के अलावा दूध अर्पित करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है.
- लक्ष्मी भोग- लक्ष्मीजी को धन की देवी माना गया है. कहते हैं कि अर्थ बिना सब व्यर्थ है. लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय भोग को लक्ष्मी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए. लक्ष्मीजी को सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, बहुत पसंद हैं.
- दुर्गा भोग- माता दुर्गा को शक्ति की देवी माना गया है. दुर्गाजी को खीर, मालपुआ, मीठा हलुआ, केले, नारियल, धान का लावा और मिष्ठान्न बहुत पसंद हैं. यदि आप माता के भक्त हैं तो बुधवार और शुक्रवार को पवित्र रहकर माताजी के मंदिर जाएं और उन्हें ये भोग अर्पित करें.
- सरस्वती भोग- माता सरस्वती को दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू तथा धान का लावा पसंद है. सरस्वतीजी को यह किसी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए.
- श्रीकृष्ण भोग- भगवान श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री का भोग बहुत पसंद है.
- काली और भैरव भोग- माता काली और भगवान भैरवनाथ को लगभग एक जैसा ही भोग लगता है. हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं. किसी अमावस्या के दिन काली या भैरव मंदिर में जाकर उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें. इसके अलावा इमरती, जलेबी और 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं.
- हनुमान भोग- हनुमानजी को हलुआ, लाल व ताजे फल, गुड़ से बने लड्डू, गुड़ धनिया और तुलसी दल अर्पित करते हैं. शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं.
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