Story Of Shakuni: महाभारत में शकुनि को मामा शकुनि के नाम से भी जाना जाता है. शकुनि दुर्योधन का मामा, गंधारी का भाई और धतृराष्ट्र का साला था. महाभारत का युद्ध कराने में मामा शकुनि की अहम भूमिका मानी जाती है. शकुनि दुर्योधन यानि कौरवों की तरफ था. शकुनि दुर्योधन को हर समय कुटिल चालों का चलने के लिए प्रेरित करता रहता था. शकुनि के कहने पर ही पांडवों को जुआ खेलने के लिए विवश होना पड़ा.


शकुनि जुआ का माहिर खिलाड़ी था
शकुनि चौसर का माहिर खिलाड़ी था. जो आज के लूडो की तरह खेला जाने वाला एक खेल था. शकुनि को इस खेल में कोई नहीं हरा सकता था. शकुनि के हाथों में सदैव पासे रहते थे. ये पांसे शकुनि के कहने पर ही चलते थे, यानि शकुनि जैसा अंक चाहता था ये पासे वैसा ही अंक शकुनि के समाने रखते थे. एक पौराणिक कथा के अनुसार शकुनि के ये पासे उसके पिता की रीढ़ की हड्डी से बने थे. इन पासे में शकुनि के पिता की आत्मा रहती थी. यही कारण है ये पांसे सदैव शकुनि की बात मानते थे.


शकुनि धृतराष्ट्र से नफरत करता था
शकुनि की बहन गांधारी का विवाह राजा धृतराष्ट्र से हुआ था. धृतराष्ट्र के रिश्ते की बात भीष्म पितामह लेकर आए थे. शकुनि का ऐसा मानना था कि भीष्म पितामह ने विवाह से पहले ये बात छिपी ली कि धृतराष्ट्र अंधे थे. इस कारण शकुनि कौरवों से नफरत करता था, लेकिन ये बात उसने कभी जाहिर नहीं होने दी.


शकुनि का संबंध अफगानिस्तान के गंधार राज्य से था
शकुनि गंधार राज का राजा था. शकुनि के पिता का नाम सुबल था. गंधार अफगानिस्तान में स्थित है. शकुनि के पिता और उसके 100 भाइयों को धृतराष्ट्र ने बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया. इस अत्याचार का भी शकुनि बदला लेना चाहता था, इसलिए उसने कौरवों का नाश करने की प्रतिज्ञा ली थी.


महाभारत के युद्ध के अंतिम दिन हुई शकुनि की मृत्यु
महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला. युद्ध के अंतिम दिन शकुनि का सहदेव ने वध कर दिया था. सहदेव पांच पांडवों में से एक और सबसे छोटे थे. सहदेव त्रिकालदर्शी थे. शकुनि के पुत्रों का वध अरावन और अर्जुन ने किया था. अरावन अर्जुन के पुत्र थे


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