Lunar Eclipse Horoscope: चंद्र ग्रहण में अब कुछ घंटे ही शेष रह गए हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रग्रहण के पीछे राहु व केतु का प्रभाव होता है. ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है. लेकिन कलयुग में इन ग्रहों को बहुत ही प्रभावी माना गया है. जिस व्यक्ति के जीवन में राहु और केतु अशुभ हो जाते हैं उस व्यक्ति को जीवन भर बहुत संघर्ष करना पड़ता है. छोटी सी छोटी चीज पाने के लिए भी ऐसे व्यक्ति को दूसरों की तुलना में बहुत अधिक मेहनत करनी होती है.
समुद्र मंथन और राहु-केतु
सृष्टि की रचना को व्यवस्थित करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन की योजना तैयार की थी. दैत्यराज बलि दैत्यों में सबसे बलशाली था. बलि ने अपनी शक्ति के बल पर तीनों लोकों पर राज कर लिया. बलि की लगातार बढ़ती शक्ति से देवता भयभीत हो गए. सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के पास पहुंचे.
सभी देवताओं की बातों को सुनकर भगवान विष्णु ने देवताओं को असुरों के साथ समुद्र मंथन का सुझाव दिया. इसके बाद देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन की प्रक्रिया आरंभ हुई. मंथन से 14 रत्न निकले. जिनका बंटवारा देवताओं और असुरों के बीच किया गया.
ऐसे हुआ राहु केतु का जन्म
समुद्र मंथन से जब अमृत कलश निकला तो इसे पाने के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ गया. स्थिति जब बिगड़ने लगी तो भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया. सुंदर कन्या के रूप में भगवान विष्णु अमृत बांटने लगे. तभी एक असुर देवताओं की पंक्ति में छिपकर बैठ गया. छल से उसने अमृत पान कर लिया लेकिन सूर्य व चंद्रमा ने उसकी ये हकरत देख ली और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दे दी.
भगवान विष्णु ने तुरंत ही अपने सुदर्शन चक्र से इस असुर की गर्दन धड़ से अलग कर दी. लेकिन अमृत पीने के कारण उसकी मृत्यु नहीं लेकिन उसका सिर और धड़ अलग हो गया जो राहु तथा केतु कहलाए. इसी बात का बदला लेने के लिए राहु और केतु चंद्रमा और सूर्य को ग्रहण लगाते हैं. ग्रहण के समय चंद्रमा पीड़ित हो जाते हैं.
5 जून को ग्रहण का समय
5 जून की रात 11 बजकर 15 मिनट से लेकर अगले दिन रात के 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. यह ग्रहण 3 घंटे 18 मिनट का होगा.
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