चंद्र ग्रहण 2020: साल का दूसरा और जून माह का पहला चंद्र ग्रहण एक बड़ी खगोलीय घटना है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को शुभ नहीं माना गया है, क्योंकि ग्रहण के दौरान ग्रह पीड़ित हो जाता है. आज के ग्रहण की खास बात ये है चंद्र ग्रहण के समय 5 ग्रह वक्री रहेंगे जो शुभ स्थिति नहीं है.


चंद्र ग्रहण से जुड़ी 5 बड़ी बातें-


1- सूतक काल मान्य नहीं है
इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं है. यानि इस ग्रहण में धार्मिक क्रिया कलाप किए जा सकते हैं. उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता है. इसलिए इसमें सूतक नहीं लगेगा. लेकिन इसके बाद भी कुछ लोगों उपच्छाया चंद्र ग्रहण में भी सूतक काल को प्रभावी मानते हैं. इसलिए जो मानते हैं सूतक काल में निषेध माने गए कार्यों का न करें.


2- उपच्छाया चंद्र ग्रहण क्या होता है
आज के दिन लगने वाले चंद्र ग्रहण को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है. जब चंद्र ग्रहण लगता है तो उससे पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है, इसी को चंद्र मालिन्य कहा जाता है. जब पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करने के बाद वहीं से बाहर निकल जाता है और पृथ्वी की असली छाया में प्रवेश नहीं करता तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा की सतह धुंधली महसूस होने लगती है और उसका बिम्ब धुंधला पड़ जाता है और छायादार नहीं होता. यह इतना हल्का होता है कि आंखों से भी आसानी से नहीं देखा जा सकता. इसी को उपच्छाया चंद्रगहण कहा जाता है.


3- इन देशों में देखा जाएगा चंद्र ग्रहण
भारत में यह ग्रहण स्पर्श से लेकर मोक्ष तक देखा जा सकेगा. इस ग्रहण को यूरोप के अधिकांश क्षेत्र, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत और हिंद महासागर आदि क्षेत्रों में देखा जा सकेगा.

4 वृश्चिक राशि में लग रहा चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होगा. वृश्चिक राशि में चंद्र ग्रहण लगने से इस राशि पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा. इसलिए वृश्चिक राशि वालों को इस दिन विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और पूजा करनी चाहिए. इस दिन वृश्चिक राशि के जातकों को अपने इष्ट देव की उपासना करनी चाहिए. इससे ग्रहण की अशुभता कम होती है.


5- चंद्र ग्रहण के दिन 5 ग्रह रहेंगे वक्री
चंद्र ग्रहण के दिन 5 ग्रह वक्री रहेंगे. इतने बड़ी संख्या में ग्रहों का वक्री होना शुभ नहीं माना जाता है. यह बड़ी घटनाओं का कारक माना जाता है. इस दिन बृहस्पति, शुक्र और शनि व्रकी रहेंगे जबकि राहु-केतु सदैव ही वक्री रहते हैं.


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