Lunar Eclipse July 2020: आज सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर लगने वाला चंद्र ग्रहण है विशेष, न करें ये काम
Chandra Grahan 2020 Timing in India, Lunar Eclipse on 5th July 2020: ज्योषित शास्त्र में चंद्र ग्रहण एक बड़ी खगोलीय घटना के तौर पर माना गया है. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण इन दोनों ही ग्रहणों का मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है. ग्रहण को एक अशुभ घटना के रूप में देखा जाता है, इसलिए चंद्र ग्रहण के दौरान ये कार्य न करें.
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Lunar Eclipse 2020 Timing in India, Chandra Grahan 5 July 2020: चंद्र ग्रहण कुछ घंटों बाद लगने जा रहा है. पंचांग के अनुसार 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. इस दिन सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे और चंद्रमा धुन राशि में रहेंगे. चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा धनु राशि में होंगे. ग्रहण के समय चंद्रमा कमजोर पड़ जाएगा. मान्यता है कि ग्रहण के समय बड़ी मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है. ये ऊर्जा मनुष्य को प्रभावित करती है. इसलिए इससे बचने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के समय चंद्रमा पर तेज आंधी चलती है. ग्रहण की प्रक्रिया के दौरान चंद्रमा अपने आप को पीड़ित महसूस करता है.
चंद्रमा का जन्म पौराणिक कथा के अनुसार चंद्रमा का जन्म समुद्र मंथन से हुआ है. इसीलिए माना जाता है कि समुद्र और चंद्रमा की बीच गहरा संबंध है. चंद्रमा के कारण ही समुद्र में ज्वार भाटा आता है.
धनु राशि में लग रहा है चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगने जा रहा है. इस कारण सभी 12 राशियों में धनु राशि पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा. इस कारण धनु राशि के जातकों को इस दिन विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
चंद्र ग्रहण की अशुभता से बचने के उपाय चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से बचने की जरूरत है. ग्रहण के समय घर से बाहर न निकलें. भोजन आदि न करें. हालांकि यह चंद्र ग्रहण उपछाया है और भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा. लेकिन फिर भी संयम और सतर्कता बरतनी जरूरी है. विशेषकर गर्भवती महिलाएं ग्रहण के समय घर से बाहर न निकलें. भोजन करने से भी बचें.
ग्रहण के बाद ये कार्य करें उपछाया चंद्र ग्रहण के कारण इस ग्रहण का सूतक काल नहीं है. ग्रहण के बाद स्नान करें. इसके बाद पूजा आदि कार्य कर सकते हैं. ग्रहण के बाद दान करना भी श्रेष्ठ माना गया है. इस दिन किए गए दान का विशेष फल प्राप्त होता है. स्नान और दान का वर्णन निर्णय सिंधु ग्रंथ में भी बताया गया है. गंगास्नानं प्रकुर्वीत ग्रहणे चंद्रसूर्ययो:। महानदीषु वा स्नासु स्नानं कुर्याद्यथा विधि।।
इसका अर्थ ग्रहण के बाद पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, स्नान करना शारीरिक शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है. मान्यता है कि ग्रहण के समय जल शुद्ध हो जाता है.
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