Lunar Eclipse: आज लगेगा चंद्र ग्रहण, गुरु पूर्णिमा के साथ व्यास पूर्णिमा भी आज, जानें पूजा विधि
आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इसे व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. संयोग से इसी दिन चंद्रग्रहण भी लग रहा है. ऐसे में कैसे करें गुरु पूर्णिमा पर्व का पूजन? आइये जानें...
Chandra Grahan 2020, Lunar Eclipse and Guru Purnima 2020: आज 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जायेगा. साथ ही सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर चंद्र ग्रहण भी लगेगा. हालांकि यह चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होगा. उपछाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चांद के बीच तो आती है लेकिन ये तीनों एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं. यह चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार 9 बजकर 59 मिनट पर अपने चरम पर होगा तथा 11 बजकर 22 मिनट पर ख़त्म हो जाएगा. इस ग्रहण की अवधि 2 घंटे 43 मिनट की होगी.
गुरु पूर्णिमा को क्यों कहते हैं व्यास पूर्णिमा?
आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा अर्चना करते है तथा आभार व्यक्त करते हैं. कहा जाता है कि पहली बार इसी दिन आदियोगी भगवान शिव ने सप्तऋषियों को योग का ज्ञान देकर स्वयं को आदि गुरु के रूप में स्थापित किया था.
ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म भी हुआ था. महर्षि व्यास ने चारों वेदों और महाभारत की रचना की थी. इसी लिए महर्षि व्यास का नाम वेद व्यास पड़ा. उन्हें आदिगुरु कहा जाता है. महर्षि व्यास के सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
मान्यता है कि आषाढ़ की गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास ने शिष्यों एवं मुनियों को सबसे पहले श्री भागवत् पुराण की कथा सुनाई थी. उसके बाद आषाढ़ की गुरु पूर्णिमा के दिन से महर्षि वेद व्यास के शिष्यों ने गुरु पूजा की परंपरा आरंभ की.
यह भी मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने इस शुभ दिन पर अपना पहला उपदेश दिया था. इस लिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में आषाढ़ की पूर्णिमा से वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है. इस दिन से चार महीने तक साधु- संत एक ही स्थान पर रहकर अपने ज्ञान का उपदेश देते रहते हैं.
गुरु का स्थान भगवान से भी है ऊंचा
हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से ऊंचा स्थान दिया गया है. इस लिए इस दिन गुरु पूजा की परंपरा है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की तस्वीर लगाकर विधि विधान से पूजा करते है. तथा उन्हें आभार व्यक्त करते हैं. शिष्य यथा संभव दान भी देते हैं.
चंद्रग्रहण के समय कैसे करें पूजन?
चूंकि इसी दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. इस लिए मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि इसमें पूजन कैसे करें? यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इस लिए इस दिन भारत के सभी मंदिर खुले रहेंगें. मंदिरों में पूजा अर्चना रोज की तरह होते रहेंगें. क्योंकि यह ग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण भी है. इस लिए इसका असर पूजा पाठ पर नहीं पड़ेगा. अतः सभी शिष्य हमेशा की तरह अपने गुरु की पूजा कर सकते हैं और व्रत रख सकते हैं.