Sawan 2021 : सावन माह में महादेव के भक्त पूजा के लिए सुबह से मंदिरों में पहुंच जाते हैं. 26 जुलाई को इस सावन का पहला सोमवार है. सावन में सोमवार दिन का विशेष महत्व है. मगर सावन में इतना ही मंगलवार का भी महत्व है. मान्यता है कि अगर किसी का वैवाहिक जीवन खराब हो या किसी का रिश्ता पक्का होने में अड़चन आ रही हो, संतान सुख नहीं मिल रहा हो तो उसे मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखना चाहिए. इस दिन मां पार्वती की विधि विधान से पूजा करने पर मनवांछित फल मिलता है.


मंगलागौरी व्रत की महिमा
मान्यता है कि यह व्रत रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. पति को दीर्घायु मिलती है. नव विवाहिता यह व्रत रखे तो पूरा वैवाहिक जीवन अच्छे से गुजरता है. जिन युवतियों को पसंदीदा पति नहीं मिल रहा है, उनको भी मंगला गौरी व्रत रखना चाहिए. कहा जाता है कि सावन में ही माता पार्वती की तपस्या से महादेव ने खुश होकर उनसे विवा​ह के लिए हामी भरी थी. यह व्रत शुरू करने के बाद कम से कम पांच साल रखा जाता है. हर साल सावन में 4 या 5 मंगलवार व्रत होते हैं. आखिरी व्रत वाले दिन उद्यापन कर देना चाहिए.
 
मंगला गौरी व्रत की विधि
 - सावन महीने में हर मंगलवार सुबह उठकर स्नान कर नए कपड़े पहनें. 
- एक चौकी पर आधे में सफेद कपड़ा बिछाएं, आधे में लाल कपड़ा बिछाएं. 
- सफेद में चावल के नौ ढेर बनाकर नवग्रह बनाएं. लाल में गेहूं के सोलह ढेर.
. चौकी पर अलग स्थान पर चावल बिछाकर पान का पत्ता रखें, स्वास्तिक बनाएं.
- गणपति को विराजमान कर रोली, चावल, पुष्प, धूप आदि से विधिवत पूजन करें. 
- थाली में मिट्टी से माता मंगला गौरी की प्रतिमा बनाकर चौकी पर स्थापित करें. 
-जल, अक्षत और पुष्प हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लें, मनोकामना कहकर विनती करें. 
- मातारानी को पंचामृत से स्नान कराएं. सोलह लड्डू, पान, फल, फूल, लौंग, इलायची चढ़ाएं.
- मां को 16 श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. 16 बत्तियों वाला दीपक जलाएं या अलग दीपक जलाएं.
- मंगला गौरी व्रत की कथा पढ़ें और माता की आरती गाएं. अंत में वस्तुएं ब्राह्मण को दे दें.
- व्रत निर्जला हो या फलाहार, नमक का सेवन भूलकर न करें. शाम को अपना व्रत खोलें.


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