Laxmi ji Sawari: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी धन की देवी मानी गई हैं. जिस पर इनकी कृपा हो जाए उसके पास धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, सुख की कमी नहीं रहती. ये तो सभी जानते हैं कि मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी.


क्या आप जानते हैं उल्लू देवी लक्ष्मी का वाहन कैसे बना ?आखिर क्यों मां लक्ष्मी ने उल्लू को अपनी सवारी चुना ? इससे जुड़ी कथा बहुत रोचक है, आइए जानें.



कैसे उल्लू बना मां लक्ष्मी की सवारी ? (Owl and Laxmi ji story)


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार संसार की रचना के बाद एक बार सभी देवी-देवता धरती पर विचरण के लिए आए थे. सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे. परंतु मां लक्ष्मी काफी देर तक असमंजस में रहीं. मां लक्ष्मी ने अपनी सवारी चुनने के लिए काफी सोच-विचार किया. इस दौरान देवी लक्ष्‍मी का वाहन बनने के लिए सभी पशु-पक्षी में होड़ मच गई.


लक्ष्मी जी ने ऐसे उल्लू को बनाया अपना वाहन


देवी लक्ष्मी ने सभी पशु-पक्षियों से कहा कि वह कार्तिक अमावस्या पर धरती पर आएंगी और अपने वाहन का चुनाव करेंगी. उस समय जो भी पशु-पक्षी मुझ तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी. कार्तिक अमावस्या पर सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मी जी की राह निहारने लगे. अमावस्या की काली रात में देवी लक्ष्मी धरती पर पधारीं तभी उल्लू ने काले अंधेरे में भी अपनी तेज नजरों से उन्हें देख लिया और तीव्र गति से उनके समीप पहुंच गया. इसके बाद लक्ष्‍मी जी उल्लू को अपना वाहन स्वीकार किया. मां लक्ष्मी को तभी से उलूक वाहिनी भी कहा जाता है.


उल्लू के खास गुण


भारतीय संस्कृति में उल्लू को लेकर कई मान्यता है. कहीं इसे धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है तो कोई इसे अशुभ कहता है. उल्लू के गुणों के बात करें तो इसकी दृष्टि बहुत तेज होती है, रात्रि में देख पाने की क्षमता, नीरव उड़ान, शीतऋतु में भी ये उड़ने में सक्षम है, सुनने की अद्भुत शक्ति.


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