Madhya Pradesh Mata Maihar: भारत में ऐसे कई सारे मंदिर है जिनके चमत्कार के आगे विज्ञान भी अपने घुटने टेक देता है. भारत की प्राचीन संस्कृति और गौरवपूर्ण इतिहास के साथ यहां के चमत्कारी मंदिर भी दुनियाभर में अपनी पहचान के लिए जाने जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां रोजाना मंदिर के कपाट खुलने से पहले चमत्कार होता है. आइए जानते हैं भारत के विचित्र और रहस्यमयी मंदिर के बारे में-


माता रानी का मंदिर
मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर में स्थित शारदा मां का मंदिर चमत्कारों से भरा हुआ है. इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त माता शारदा के दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर के चमत्कारों के हर किसी की जुबान पर रहती है. सतना जिले के मैहर में त्रिकूट पर्वत पर 600 फीट की ऊंचाई पर बना ये मंदिर काफी भव्य है. माता शारदा के मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1001 सीढ़ियां चढ़कर जानी होती है. मान्यता है कि जब शिव जी के हाथ में सती माता का शव का था, तो विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से सती माता के शरीर के कई हिस्से कर दिए थे. माता सती के अंग के हिस्से कई स्थानों पर गिरे , जो बाद में शक्तिपीठ बनें. मैहर में माता सती का हार गिरने के कारण इस जगह का नाम मैहर पड़ा.




मैहर मंदिर का रहस्य 
मंदिर को लेकर कई तरह की किंवदंतियों है. लेकिन प्रचलित किंवदंतियों के मुताबिक स्थानीय लोगों का कहना है कि रोजाना शाम की आरती के बाद जब पुजारी मंदिर के कपाट बंद करके चले जाते हैं, तो मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा अर्चना की आवाजें आती हैं. मंदिर के पुजारी बताते है कि ब्रह्म मुहूर्त में जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तो यहां माता की पूजा हुई मिलती है. यहां पहले से ही माता रानी के आगे फूल चढ़े होते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक यह पूजा हजारों साल पहले रहे योद्धा आल्हा करते हैं. जो अक्सर मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही माता शारदा की आरती करके चले जाते हैं. 


जब मंदिर के पुजारी से इस चमत्कार के विषय में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मंदिर में माता रानी का पहला श्रृंगार आल्हा करते हैं. हर रोज जब ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तो यहां पहले से ही पूजा हुई मिलती है. इस रहस्य का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक की टीम भी पहुंची थी, किंतु वैज्ञानिकों को खाली हाथ लौटना पड़ा. 




कौन था आल्हा
आल्हा, बुंदेलखंड महोबा में परमार रियासत के दो योद्धा, जिनका नाम आल्हा और ऊदल था. रिश्ते में ये दोनों भाई वीर और प्रतापी योद्धा थे. परमार रियासत के कालिंजर नाम के राजा के दरबार में जगनिक कवि नाम का एक कवि था. जिसने आल्हा और ऊदल की वीरता पर 52 कहानियां लिखी. कहानियों के अनुसार दोनों ने अपनी आखिरी लड़ाई पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ लड़ी थी. माना जाता है कि पृथ्वीराज को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा था. किंतु अपने गुरु गोरखनाथ के आदेश पर आल्हा ऊदल ने पृथ्वीराज चौहान को छोड़ दिया. जिसके बाद से दोनों भाइयों ने वैराग्य जीवन अपनाकर संन्यास ले लिया. माता शारदा के इस मंदिर में ये चमत्कार इस बात की गवाही देते हैं कि इस मंदिर में जाने वाले भक्तों की मुराद माता रानी पूरी करती है. 


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