Datia Satkhanda Mahal, History and Importance in Hindi: भारत में कई ऐतिहासिक महल, किला या इमारते हैं, जो अपने भीतर वास्तुकला की अद्भुत रचनाओं को समेटे हुए है. यही कारण ही इन्हें भारत की प्राचीन धरोहर कहा जाता है.
बात करें मध्य प्रदेश की तो यह देश का ऐसा राज्य है, जहां कई आलीशान महलें और किला है. इन महलों की अद्भुत कलाकृति देखने देश-विदेश से लोग यहां आते हैं. मध्य प्रदेश राज्य में ऐसे कई जिले भी हैं, जिनसे गौरवशाली अतीत भी जुड़ा हुआ है. इन्हीं में एक है मध्य प्रदेश राज्य के दतिया जिले का सतखंडा महल. यह महल अपनी अद्भुत कला के प्रतीक के लिए प्रसिद्ध है. साथ ही इस महल से कई रोचक बातें भी जुड़ी हुई है. हालांकि प्राचीन समय में दतिया, बुंदेलखंड क्षेत्र के अधीन राज्य था जोकि अब मध्य प्रदेश के जिले में आता है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, 7 मंजिला खूबसूरत दतिया के सतखंडा महल के निर्माण में किसी प्रकार की लकड़ी या लोहे आदि का प्रयोग नहीं किया. इसके बावजूद यह इतने सालों में आज भी अडिग खड़ा है. साथ ही यह 7 मंजिला खूबसूरत महल सिर्फ एक रात के लिए इस्तेमाल किया गया था. यानी एक दिन अलावा इसमें कभी भी कोई ठहरा नहीं. जानते हैं दतिया के सतखंडा महल से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक पहलुओं और इसके इतिहास के बारे में.
सतखंडा महल का इतिहास
मुगल शासक अकबर की मृत्यु के बाद उसके बेटे सलीम युवराज बने. युवराज बनने के दौरान सलीम ने अपना नाम बदलकर जहांगीर कर लिया. बीर सिंह देव के जहांगीर पर कई एहसान थे. इसलिए जहांगीर ने उसे ओरछा के सिंहासन पर बैठा दिया. इसके कुछ साल बाद जहांगीर ने अपने पुराने मित्र मिलने की घोषणा करते हुए अपने साम्राज्य में 52 इमारतों के निर्माण स्थान के लिए हरी झंडी दे दी, जिसमें एक दतिया स्थान भी था. दतिया को उन्होंने बीर सिंह देव को उपहार स्वरूप दिया था. इसलिए दतिया के सतखंडा महल को ‘सतखंडा महल’ और ‘बीर सिंह देव महल’ के नाम से भी जाना जाता है.
क्यों वीरान पड़ा रहा खूबसूरत दतिया का सतखंडा महल
बीर सिंह देव को दतिया स्थान उपहार स्वरूप मिला था. इसलिए स्वयं बीर सिंह देव या उसके परिवार वालों ने इस महल का कभी प्रयोग नहीं किया. लेकिन एक बार शंहशाह महल में आए और ओरछा जाने से पहले एक रात इस महल में रुके थे. ऐसे में सतखंडा महल सालों से विरान पड़ा है और एक रात के अलावा इसे किसी ने आज तक इस्तेमाल नहीं किया.
दतिया के सतखंडा महल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
- सतखंडा महल का निर्माण बुंदेला राजा बीर सिंह देव द्वारा 1620 में कराया गया था.
- सतखंडा महल को तैयार होने में लगभग 9 साल का समय लगा था और इसमें करीब 35 लाख रुपये खर्च हुए थे.
- सतखंडा महल 7 मंजिला है, जिसमें 2 मंजिला इमारत जमीन के नीचे और 5 मंजिला जमीन के ऊपर है.
- 7 मंजिला होने के कारण इसे सतखंडा महल कहा जाता है. इसके अलावा इसे पुराना महल, बीर सिंह देव महल और गोविन्द महल आदि जैसे नामों से भी जाना जाता है.
- सात मंजिला सतखंडा का निर्माण केवल ईंट और पत्थरों द्वारा किया गया है. इसमें किसी तरह की लकड़ी या धातु का प्रयोग नहीं किया गया है. इसके बावजूद यह अबतक खड़ी है.
- सतखंडा महल में करीब 440 कमरे हैं और हर जगह आंगन या चबूतरा बना है.
- महल में कई खूबसूरत और अद्भुत चित्र भी हैं, जिन्हें जैविक रंगों से बनाया गया था.
- महल के परिसर मे भगवान गणेश और मां दुर्गा के मंदिर के साथ ही दरगाह भी है.
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