नवरात्रि का पर्व दो बार नहीं बल्कि साल में चार बार आता है. हालांकि चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ज्यादा महत्व दिया जाता है. माघ मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाएगी. यह तिथि शुक्रवार 12 फरवरी को है. गुप्त नवरात्रि की  तंत्र-मंत्र और साधना करने वाले लोगों में बहुत मान्यता है.


क्या गुप्ता नवरात्रि का महत्व ?
गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. इसे तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली नवरात्रि माना गया है. मान्यता है कि इस नवरात्रि में की जाने वाली विशेष पूजा कई प्रकार के कष्टों को दूर होते हैं. ऐसा भी कहा जाता कि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती है.


गुप्त नवरात्रि पर पूजा और व्रत रखने वाले अपनी पूजा गुप्त को रखते हैं. इसके पीछे धारणा है कि पूजा गुप्त रखने से उसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है. इस नवरात्रि में दस महाविद्यियाओं की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इसमें मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा का विधान है. माघ महीने में आने से इसको माघी नवरात्रि भी कहा जाता है.


कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का समय 12 फरवरी सुबह 08. 34 बजे से 09.59 बजे तक का है. इस समयाविध में कलश की स्थापना कर सकते हैं. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.13 बजे से 12.58 बजे तक का है. 21 फरवरी को रविवार के दिन गुप्त नवरात्रि का समापन होगा.


कठोर अनुशासन के साथ व्रत
इस नवरात्रि में देवी भगवती के साधक  व्रत के कठोर अनुशासन का पालन करते हैं और कठिन आराधना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन गलत कार्यों से दूर रहकर पूजा पूर्ण करनी चाहिए और किसी के अहित के बारे में नहीं सोचना चाहिए.


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