Magh Purnima 2023: माघ पूर्णिमा कब 4 या 5 फरवरी? इस बार बन रहा है महासंयोग, यहां नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त
Magh Purnima 2023: माघ पूर्णिमा कब है? पूर्णिमा की तिथि 4 फरवरी से आरंभ होगी और 5 फरवरी 2023 को इसका समापन होगा. इस दिन कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य में प्रवेश से बनता है उस दिन माघ पूर्णिमा का योग होता है.
Magh Purnima 2023: इस साल माघ मास की पूर्णिमा 4 फरवरी 2023 को पड़ रही है. माघ मास माघ पूर्णिमा तिथि 4 फरवरी 2023 रात 9:29 मिनट से शुरू होगी और 5 फरवरी को रात 11 :58 मिनट तक रहेगी. साथ ही उदयातिथि को देखते हुए माघ पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी.
सूर्य जीवन का आधार है, आत्मा का कारक और आत्मविश्वास का प्रतीक है तो चन्द्रमा मन का कारक. सूर्य हमारा आत्मविश्वास बढ़ाते हैं तो चन्द्रमा मन को शांत रखता है. पूर्णिमा तिथि पर चन्द्रमा का अधिकार है. साल के बारहों महीने आने वाली बारह पूर्णिमा का अपना महत्व है.
जिस दिन कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य में प्रवेश से बनता है उस दिन माघ पूर्णिमा का योग होता है. इस दिन गंगा नदी या पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने की परंपरा है. पुराणों में माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं. इस बार माघ पूर्णिमा क दिन के दुर्लभ महासंयोग बन रहा है.
माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा का प्रारम्भ 4 फरवरी, रात 09 बजकर 29 मिनट पर होगा और 5 फरवरी, रात 11 बजकर 58 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. स्नान का शुभ समय- 5 फरवरी, सुबह 05 बजकर 22 मिनट से सुबह 06 बजकर 14 मिनट तक
दुर्लभ महासंयोग
माघ पूर्णिमा पर अश्लेषा नक्षत्र और चन्द्रमा, गुरु एवं शनि ये तीनों ही ग्रह अपनी राशि में विराजित रहेंगे. इसके साथ ही वाशी योग, सुनफा योग, आयुष्मान योग, रविपुष्य योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा.
इस दिन पूजा का विशेष महत्व
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप से मुक्ति मिलती है.
- यदि आप पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर पाते हैं तो सूर्योदय से पूर्व उठकर घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें.
- स्नान करते वक्त मन में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें.
- स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, गेंहू और काले तिल डालकर सूर्य को अघ्र्य देने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
- इसके बाद घर के पूजन कक्ष में ही घी का दीपक जलाकर उसमें चार लौंग अपने आराध्य और श्रीविष्णु भगवान की पूजा करें.
- भागवत गीता, विष्णु सहस्त्रनाम या फिर गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें.
- इसके बाद अपने समर्थ के अनुसार ब्राह्मण व गरीबों को तिल, कंबल, घी, फल आदि चीजों का दान करें.
- ऐसा करने से सभी संकट दूर होते हैं और परिवार के सदस्यों की तरक्की होती है.
- साथ ही घर मौजूद नकारात्मक शक्ति नष्ट हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे आपके सभी कार्य बनने लग जाते हैं.
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