Margshirsha Purnima 2021: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन करें ये सरल उपाय, जीवनभर बनी रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा
Margshirsha Purnima 2021: हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा का विशेष महत्व है. हर माह के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा होती है. इस बार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा 18 दिसंबर के दिन है.
Margshirsha Purnima 2021: हिंदू धर्म में अमावस्या (Amavasya 2021)और पूर्णिमा (Purnima 2021) का विशेष महत्व है. हर माह के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा होती है. इस बार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा (Margashirsha Month Purnima 2021) 18 दिसंबर के दिन है. कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन पूजा, जप, तप और दान का विशेष महत्व होता है. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. इतना ही नहीं, मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
बता दें कि पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को समर्पित होती है. इस दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि रखने से संकटों और दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पूजा, व्रत आदि के साथ-साथ इन मंत्रों का जाप (Maa Lakshmi Mantra Jaap) करना भी जरूरी होता है. आइए जानें मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किन मंत्रों का जाप (Mantra Jaap) करना जरूरी है.
मां लक्ष्मी जी के मंत्र (Maa Lakshmi Ji Mantra Jaap)
1. सुख-समृद्धि हेतु लक्ष्मी का मंत्र:
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
2. लक्ष्मी स्त्रोत
श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥
सन्धया रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती॥
3. लक्ष्मी मां का बीज मंत्र
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद
श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।
4. सौभाग्य प्राप्ति का मंत्र
ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी
एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
5. धन प्राप्ति मंत्र
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,
धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। ।
6. सुख प्राप्ति का मंत्र
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
7. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
8. आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
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