Mahabharat: दुर्योधन के जन्म लेते ही हुए थे कई अपशकुन, तब विदुर ने कही थी ये बात
Duryodhan In Mahabharat: दुर्योधन महाभारत के युद्ध का मुख्य कारण था. दुर्योधन की महत्वाकांक्षाओं के कारण ही कौरवों का विनाश हुआ और माता पिता को जीवित ही वन में जीवन गुजरना पड़ा. दुर्योधन जब पैदा हुआ तो एक नहीं कई अपशकुन एक साथ घटित हुए.
Mahabharat In Hindi: महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला. महाभारत का युद्ध महा विनाशकारी था. इस युद्ध में कौरवों का पूरी तरह से नाश हो गया. महाभारत के युद्ध के पीछे सबसे बड़ा कारण दुर्योधन था. महाभारत का युद्ध दुर्योधन की महत्वाकांक्षाओं और जिद का ही नतीजा था.
दुर्योधन का जन्म दुर्योधन धृतराष्ट्र और गांधारी का सबसे बड़ा पुत्र था. गांधारी अपने पुत्र को हस्तिनापुर का राजा बनाना चाहती थीं, लेकिन पांडु की पत्नी कुंती को पहले संतान प्राप्त हो गई. इससे गांधारी बहुत दुखी हुई और अपने पेट पर दासी कई प्रहार कराए, जिससे उन्हें गर्भपात हो गया. तब महर्षि व्यास ने गांधारी को समझाया और गर्भ से निकले भाग के एक सौ एक भागों में बांट कर घी से भरे घड़ों में रखवा दिया. इस क्रिया से ही गांधारी के सौ कौरव पैदा हुए. सबसे पहले घड़े से जो बालक प्राप्त हुआ था उसका नाम दुर्योधन रखा गया.
दुर्योधन के जन्म लेते ही घटित हुई ये घटनाएं दुर्योधन ने जैसे ही जन्म लिया. कई अपशकुन एक साथ घटित होने लगे. दुर्योधन के पैदा होते ही शियार जोर जोर से रोने लगे. उल्लू शोर मचाने लगे. आसमान में अचानक काले बादल छा गए. जन्म लेते ही दुर्योधन बोलने लगा. इन घटनाओं को देखकर विदुर ने धृतराष्ट्र और गांधारी को तत्काल इस पुत्र का त्याग करने के लिए कहा. विदुर ने कहा कि ये अपशकुन बता रहे हैं कि यह पुत्र हस्तिानपुर के विनाश का कारण बनेगा. लेकिन पुत्र मोह में धृतराष्ट्र और गांधारी ने ऐसा करने से मना कर दिया. बाद में विदुर की भविष्यवाणी सच साबित हुई.
दुर्योधन का माना जाता है कलयुग का अवतार दुर्योधन को कलयुग का अवतार माना जाता है. क्योंकि दुर्योधन में वे सभी गुण मौजूद थे जो कलयुग में स्वार्थ के लिए अपनाए जाते हैं. इसीलिए दुर्योधन को कलयुग का अवतार कहा जाता है. दुर्योधन के बारे में एक बात कही जाती है कि वह बहुत ही कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और नेतृत्व करने की गजब की क्षमता रखता था. वह गदा युद्ध में भी निपुण था. दुर्याेधन में बिजली की तरह चपलता थी. वह बहुत जल्द लोगों को अपना बना लेता था. उसके इसी गुण के कारण कई राजाओं ने महाभारत के युद्ध में उसका साथ दिया.
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