Bhishma: भीष्म पितामह की इन 36 बातों में छिपा है जीवन का सार, जिसने अपना लिया उसका बेड़ा पार
Mahabharat: भीष्म पितामह (Pitamah Bhishma) जब वाणों की शय्या पर लेटे थे तब उन्होंने मृत्यु से पूर्व धर्मराज युधिष्ठिर को 36 बातें बताई थीं. ये बातें क्या थी? जीवन में इनका क्या महत्व है, जानते हैं.
Mahabharat story: महाभारत की कथा भीष्म पितामह (Pitamah Bhishma) के बिना अधूरी है. महाभारत के योद्धाओं का वर्णन आता है तो भीष्म पितामह का नाम बहुत ही आदर के साथ लिया जाता है. भीष्म पितामह कौरवों की सेना की तरफ थे और वे प्रथम सेनापति थे. वे बंधन से बंधे थे. जिसका उन्होंने अंतिम सांस तक निभाया लेकिन भीष्म पितामह का स्नेह पांडवों के प्रति था.
भीष्म ने युधिष्ठिर को बताई थीं ये बातें
पौराणिक कथा के अनुसार देह त्यागने से पहले भीष्म पितामह ने युधिष्ठर को बेहद अहम 36 बातें बताई थीं, जिसे सभी को जानना चाहिए. जो लोग इन बातों पर अमल करते हैं, वे जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं. जो लोग अच्छे बॉस, लीडर आदि बनना चाहते हैं उनके लिए भीष्म की ये बातें अनमोल हैं-
- प्रतापी बनें, लेकिन महिमा मंडन और आत्ममुग्धता से बचें.
- स्त्रियों से अधिक संपर्क से बचें.
- किसी से द्वेष न रखें. सदैव ही स्त्रियों का आदर करें और उनकी रक्षा करें.
- जो नियम विरुद्ध व्यवहार करें उनके साथ कोमलता का भाव रखना व्यर्थ है.
- क्रूरता, अनावश्यक कर लिए बिना ही राजा को राजकोष में वृद्धि करनी चाहिए.
- सुखों की लालसा में मर्यादा का त्याग नहीं करना चाहिए.
- भाषण या संबोधन में दीनता का भाव नहीं दिखना चाहिए.
- दूसरों के प्रति आपका व्यवहार साफ और ईमानदार होना चाहिए. उसमें विनम्रता झलकनी चाहिए. कठोरता का अंश नहीं होना चाहिए..
- राजा को कभी दुष्ट लोगों का साथ नहीं लेना चाहिए.
- अपने प्रिय बंधुओं से कभी कलह न करें.
- जिसमें राष्ट्रभक्ति न हो ऐसे व्यक्ति से कभी महत्वपूर्ण कार्य नहीं लेना चाहिए.
- उत्तम सेवा वही है जो किसी को कष्ट का अहसास न कराए.
- राजा को अपनी योजनाओं को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, दुष्टों के सामने इसका खुलासा करने से बचना चाहिए.
- स्वयं की गुणों को बखान नहीं करना चाहिए.
- साधु, संत का आदर करना चाहिए उनका धन कभी नहीं छीनना चाहिए.
- राज को हमेशा धर्म का आचरण करना चाहिए. कटुता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
- दूसरों के साथ प्रेम का व्यवहार करना चाहिए, आस्तिक रहना चाहिए.
- दान देने में सावधानी बरतें, दान कभी अपात्र को प्राप्त नहीं होना चाहिए.
- राज को लोभियों से बचना चाहिए, इनकी धन से मदद नहीं करनी चाहिए.
- जो गलत व्यवहार करते हैं उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए.
- राज को सदैव शुद् रहना चाहिए और वो किसी से घृणा न करे.
- गलत अचारण करने वाले और दूषित मानसिकता वाले लोगों को कभी आश्रय न दें.
- राज को दंड देते समय सावधानी बरतनी चाहिए. बिना परखे किसी को दंड नहीं देना चाहिए.
- राज को गुप्त बातें या योजना किसी से साझा नहीं करनी चाहिए.
- विद्वान, ज्ञानी, प्रबुद्धजनों का बिना अभिमान किए सम्मान करना चाहिए.
- गुरु का सदैव आदर करना चाहिए. गुरु की सेवा भी करनी चाीहिए.
- भगवान की पूजा निस्वार्थभाव से करनी चाहिए. तभी पुण्य प्राप्त होता है.
- जिस कार्य को करने में कोई बुराई न हो उन कार्यों से लक्ष्मी जी को प्राप्त करना चाहिए.
- किसी पर हमला करने से पहले उसके पर बारें में पूर्ण जांच और जानकारी कर लें. बिना जाने हमला नहीं करना चाहिए.
- कार्यकुशलता राजा का गुण हैं. लेकिन अवसरों का भी उचित ध्यान रखना चाहिए.
- किसी से छुटकारा पाने के लिए कभी चिकनी-चुपड़ी बातें नहीं करनी चाहिए.
- राज यदि किसी पर कृपा करता है तो उसमें दोष न देखे.
- राज को बड़ों की सेवा पूरी निष्ठा और स्नेह पूर्वक करनी चाहिए.
- शत्रुओं का वध करने के बाद शोक नहीं करना चाहिए.
- स्वभाव पर नियंत्रण रखना चाहिए अचानक क्रोध करने से बचना चाहिए.
- खानपान का उचित ध्यान रखना चाहिए. सुदंर और स्वादिष्ट होने पर भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए.
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