Mahabharat: महाभारत की कथा से क्या सीख मिलती है, क्या ये आज भी काम आ सकती हैं, जानें
Mahabharat Katha: हिंदू धर्म में महाभारत को पांचवा वेद माना जाता है. इसमें जीवन जीने का श्रेष्ठ मार्ग बताया गया है. महाभारत से मिलने वाली शिक्षाएं हर काल में प्रासंगिक रही है.
Mahabharat Katha in Hindi: हिंदू धर्म में कई वेद-पुराणों का जिक्र मिलता है, जिसमें महाभारत भी एक है. चार वेदों के बारे में तो हम सभी जानते हैं जो इस प्रकार है- ऋग्, यजु, साम और अथर्व. वहीं महाभारत को पांचवा वेद माना गया है.
महाभारत की कथाओं के बारे में हर किसी को जानना चाहिए. क्योंकि इसमें धर्म के साथ ही राजनीति, आध्यात्मिक, देश, समाज, विज्ञान आदि से जुड़ा ज्ञान भी मिलता है.
इसलिए इसे सभी पहलुओं से जुड़ा उपयोगी और प्रासंगिक ग्रंथ माना जाता है. इसका पाठ करने से मनुष्य का जीवन श्रेष्ठ बनता है.
आइये जानते हैं महाभारत की कथा से मिलने वाली शिक्षाएं क्या आज के समय में भी काम आ सकती है?
महाभारत से मिलने वाली सीख
महाभारत की कथाओं से सबक और सीख दोनों ही मिलती है और यह आज भी उतनी ही प्रासंगिक है.
बल्कि यह कहना भी गलत नहीं होगा कि, महाभारत की कथा से मिलने वाली शिक्षाएं हर काल में प्रासंगिक रही है और रहेंगी.
महाभारत में ज्ञान का ऐसा अपार भंडार है, जो संसार में कहीं नहीं.
आइये जानते हैं महाभारत से मिलने वाली वो शिक्षा जो आपके बहुत काम आ सकती है.
- अधूरा ज्ञान है खतरनाक: महाभारत की कथा से यह सीख मिलती है कि, अधूरा ज्ञान बहुत खरनाक होता है. केवल खतरनाक ही नहीं बल्कि यह विष के समान जानलेवा भी हो सकता है. अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने मां के गर्भ में चक्रव्यूह में घुसने का ज्ञान तो पा लिया लेकिन उससे निकलने की जानकारी नहीं मिली. यही अधूरा ज्ञान ही उसके लिए प्राणघातक साबित हुआ. महाभारत युद्ध के दौरान उसकी मौत चक्रव्यू में फंसने से हुई. इससे हमें यही शिक्षा मिलती है कि, अपने कार्यक्षेत्र का पूरा ज्ञान होना जरूरी होता है.
- जुआ है खतरनाक: महभारत युद्ध की शुरुआत का मुख्य कारण ही जुए से जुड़ा है. जब पांडव जुआ में सबकुछ हार चुके थे, जब आखिर में उन्होंने पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगा दिया और जुए में हार गए. इसके बाद द्रौपदी का चीरहपण हुआ, जोकि महाभारत युद्ध का कारण बना. इसलिए महाभारत से यह शिक्षा मिलती है कि जुए या सट्टा से दूर रहना चाहिए.
- संतान से मोह: संतान से हर माता-पिता को स्नेह और प्रेम होता है. लेकिन महाभारत से यह शिक्षा मिलती है कि, संतान से अनुचित मोह गलत है. धृतराष्ट्र ने बेटे दुर्योधन को राजा बनाने के लिए उसके पाप में भी उसका साथ दिया और इस तरह से पुत्र से अनुचित मोह ही महाभारत युद्ध की शुरुआत हुई. अगर धृतराष्ट्र निष्पक्ष होकर युधिष्ठिर को राजा बना देते तो महाभारत युद्ध रुक सकता था. लेकिन धृतराष्ट्र ने ऐसा नहीं किया और इसका खामियाजा यह हुआ कि उसे अपने सौ बेटों की मौत की कीमत चुकानी पड़ी.
- राजनीति की शिक्षा: महाभारत की कथा से राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है. महाभारत से यह सीख मिलती है कि राजा चाहे कितना भी बड़ा या शक्तिशाली क्यों न हो, अन्नायपूर्ण शासन अधिक समय पर नहीं ठहरता. इसलिए राजा को हमेशा धर्म, समानता, स्वतंत्रता और न्यायपूर्ण तरीके से शासन करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो राजा या शासक की दशा कंस और कौरवों जैसी होगी.
ये भी पढ़ें: Shab E Qadr 2024: 'शब-ए-कद्र' की रात क्या होती है? रमजान में क्या है इसकी अहमियत, जानिए
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.