Mahabharat: इसलिए द्रौपदी की लाज बचाने को दौड़े चले आए श्रीकृष्ण, द्रौपदी से किया था रक्षा का वादा
Mahabharat Katha: महाभारत का युद्ध विनाशकारी था. द्रौपदी के अपमान का बदला लेने के लिए भी महाभारत का युद्ध लड़ा गया था. रक्षाबंधन का पर्व द्रौपदी और भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है. इसके पीछे एक रोचक कथा है. आइए जानते हैं.
Mahabharat In Hindi: महाभारत काल में जब शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्रीकृष्ण के उंगली में चोट लग गई. चोट लगते ही भगवान श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त की धारा बहने लगी. यह दृश्य देख द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण उंगली पर बांध दी. जिससे रक्त बहना बंद हो गया. जिस दिन यह घटना हुई उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी. कहते हैं तभी से रक्षाबंधन के पर्व को मनाने की परंपरा आरभ हुई. रक्षाबंधन को लेकर कई अन्य पौराणिक कथाएं भी हैं. महाभारत में काल युद्ध के दौरा भगवान श्रीकृष्ण युधिष्टिर को सैनिकों के हाथों में रक्षा सूत्र बांधने के लिए कहा था. राखी को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है.
द्रौपदी का चीरहरण जुए के खेल में जब युधिष्टिर अपना सबकुछ हार गए तो शकुनि ने द्रौपदी को दांव पर लगाने के लिए कहा. कुटिल शकुनि ने द्रौपदी को भी दांव में जीत लिया. द्रौपदी को दांव में हरने पर दुशासन भारी सभा में बालों से पकड़कर द्रौपदी को घसीट कर लाता है. द्रौपदी का भरे दरबार में भयंकर अपमान किया जाता है. द्रौपदी का जिस समय अपमान हो रहा था तब उस सभा में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और विदुर भी विराजमान थे. लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया. इन लोगों के मौन रहने के बाद दुर्योधन ने द्रौपदी का चीरहरण का आदेश दिया. तब द्रौपदी ने रोते हुए अपनी आंखों को बंद किया और भगवान श्रीकृष्ण को याद किया.
भगवान श्रीकृष्ण को शिशुपाल वध के दौरान द्रौपदी को दिया हुआ वचन याद आता है और वे द्रौपदी की लाज बचाने के लिए दौड़ पड़ते हैं. भगवान श्रीकृष्ण द्रौपदी की लाज बचाने के लिए लीला रचते हैं और ऐसा चमत्कार करते हैं जिससे द्रौपदी की साड़ी लगातार बढ़ने लगती है और दुशासन साड़ी खींचते-खींचते बेहोश हो गया. इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की और अपना वचन पूरा किया.
कौन था शिशुपाल शिशुपाल रिश्ते में भगवान श्रीकृष्ण का भाई था. शिशुपाल वासुदेवजी की बहन और छेदी के राजा दमघोष का पुत्र था. जन्म के समय शिशुपाल की तीन आंखे और चार हाथ थे. शिशुपाल के जन्म के समय एक आकाशवाणी हुई कि जिस व्यक्ति की गोद में जाने से इसकी अतिरिक्त आंखे और हाथ गायब हो जाएगें, उसी व्यक्ति के हाथों इसका वध होगा. एक बार जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन के घर पहुंचे तो शिशुपाल को अपनी गोद में लेकर खिलाने लगे. तभी शिशुपाल के अतिरिक्त हाथ और आंख अदृश्य हो गईं.